इस से बढ़ कर,मैं क्या ज़ब्त की मिसाल दूं
वो मेरे पहलू में बैठ कर, बहुत रोया किसी और के लिए
मिसाल तो तुम देती हो हमारी
जबकि हम तो खोये थे तुम में हमें तो गुमान भी नहीं
तुम क्या जाग रही थी हमारी बाहों में, किसी को याद करते,
जो हमारे इश्क का अहसास ही नहीं
अरे वोह आंसू तो तुम्हारे बिछड़ने की सोच से ही निकल पड़ रहे थे
तुम जग ना जाओ, कंधे से सिर न हटाओ,
इस लिए हम चुप चुप सिसकियाँ भर रहे थे
तुझसे बिछड़ कर ओ मेरे बेखबर
में नजाने किस किस की हो गई हूँ
यह तो हमें मालूम था तेरा जलवा
तुझे खुद ही नहीं पता तू किस किस के आगोश में सो चुकी है
तू एक के साथ या हो सो के हाथ,तू तो हम से दूर हो चुकी है
इक उम्र से यही है मेरे दिल के आरजू
वो सामने बैठा कर मुझे देखता रहे
अल्लाह पर ऐतबार कर, अच्छे कर्म कर, वफ़ा कर वफ़ा ले
हालात हमारे भी ऐसे ही हैं तू सामने हो और दम हमारा निकले
होसला तुझ को न था मुझसे जुदा होने का
वरना काजल तेरी आंखों मैं न फेला होता
तुझे बहुत गुमा है अपनी खूबसूरती का जो काजल की बात करती है
रात तेरे साथ गुजारी थी आँखों ने
कितने ही आंखों ही आँखों के इशारो में,
जगह ही कहाँ बची थी जो वोह वह्ना रुका होता
जिंदा जब तक रहेंगे आपके दिल में रहेंगे
दर्द ए जीगर जालिम होता है दवा हम करेंगे
दोस्ती के लिए जान देने का जज्बा रखते हैं
मरने के बाद भी कसम आपकी यादो में बसके रहेंगे
Wednesday, May 28, 2008
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2 comments:
होसला तुझ को न था मुझसे जुदा होने का
वरना काजल तेरी आंखों मैं न फेला होता
" wah bhut sunder"
Regards
क़यामत के दीवाने कहते हैं हमसे
सज़ा दें, सिला दें, बना दें, मिटा दें
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