Thursday, May 29, 2008

बेमौसम बरसात

जिस नारे से गौरों के दिल दहलाये
वन्देमातरम गान हमें क्यों याद नही
मेरठ मे जो क्रान्ति दूत बन ललकारा
मंगल का बलिदान हमें क्यों याद नही
देख वीरता गौरे भी थे घबराये
झांसी वाली शान हमें क्यों याद नही
अजीमुल्ला रंगो जी नाना टोपे
नायक बडे महान हमें क्यों याद नही
लाल किले से जफर क्रान्ति उदघोष किया
पुत्र किये बलिदान हमें क्यों याद नही
सन संतालीस नया सवेरा लाल किला
तीन रंग का मान हमें क्यों याद नही।


वन्दे मातरम हमें याद है।
शहीदों की कुर्बानिओं के रंग हमें याद हैं॥

नेताजी का तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा' याद है।
नारा ए बजरंगी हर हर महादेव भी हमें याद है॥

लाहोर की शांती बस और कारगिल भी याद है।
इंदिरा का बांग्ला संग्राम और अटल का अणुपरीक्षण भी याद है॥

कुछ नहीं भूले हमें सब याद है।
लेकीन हमें बड़ा दुख है और रंज आज है..

तुम अपने गुरु को याद करा रहे हो नौजवान ।
तुम्हारा शोर बेमौसम बे बादल बरसात है ॥
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