Thursday, February 15, 2024

नगाड़ा बजाओ देश उठाओ


 बजा नगाड़ा  रे पगले, 

हिन्दूस्तानी सोया है ।

बता उसे विदेशी षड्यंत्र

 जिसका छाया खतरा है।। 


देश का इतिहास राजद्रोहियो से भरा

विभीषण जयचन्द जैसी मिसालों से सना।।


आओ जांचें कुछ पूर्व की घटनाओं को

देश की शर्मनाक गुलामी की सच्चाई को।।


मोहम्मद गजनवी को 17बार भगाया था।

18वींबार ऐक अपने ने सोमनाथ दिखाया था।।


पृथ्वीराज के आड़े जयचन्द ही आया था।

जिसके कारण गुलामी का बादल छाया था।।


मुगलों का इतिहास इन कायोरों से हरा भरा।

नहीं तो किस में शक्ति थी जी देता हमे हरा।।


वीर शिवाजी की शमशीरें,जयसिंह ने ही रोकी थीं ।

पृथ्वीराज की पीठ में बरछी,जयचंदों नें भोंकी थी ।।


हल्दीघाटी में बहा लहू,शर्मिंदा करता पानी को ।

राणा प्रताप सिर काट काट,करता था भेंट भवानी को।।


राणा रण में उन्मत्त हुआ,अकबर की ओर चला चढ़ के

तब मान सिंह आया बढ़ के के प्राण बचाने को ।।


इक राजपूत के कारण ही  तब वंश मुगलिया जिंदा था

इक हिन्दू की गद्दारी से  चित्तौड़ हुआ शर्मिंदा था ।।


जब रणभेरी थी दक्खिन में  और मृत्यु फिरे मतवाली सी

और वीर शिवा की तलवारें  भरती थीं खप्पर काली सी।।


किस म्लेच्छ में रहा जोर  जो छत्रपती को झुका पाया

ये जयसिंह का ही रहा द्रोह  जो वीर शिवा को पकड़ लाया।।


गैरों को हम क्योंकर कोसें,  अपने ही विष बोते हैं।

कुत्तों की गद्दारी से,  मृगराज पराजित होते हैं


बापू जी के मौन से हमने भगत सिंह को खोया है।।


आज पुन: देश काले बादलों से भरा है।

गजवा ए हिन्द का सामने खड़ा खतरा है।।


370, सी ऐ ऐ का बे दिमागी विरोध हो रहा

जिसका कोई अर्थ नहीं उसमें देश जल रहा।।


इनका विरोध हिन्दू विरोधी सत्ता लोलूप कर रहे।।

देश के पुन: विभाजन के सपने यह संजो रहे।।


हमे क्या पड़ी? अकेला मोदी लड़ रहा

अगर यह ढीला पड़ा तो देश तो गिर पड़ा।।


आज जरूरत उस नगाड़े की जो देश को उठा सके।

देश की अस्मिता, समृद्धि, को गजवा ए हिन्द से बचा सके।।

 

बजा नगाड़ा  रे पगले, हिन्दूस्तानी सोया है ।

बता उसे विदेशी षड्यंत्र जिसका खतरा है।।

Monday, February 12, 2024

लक्ष्य प्राप्ति

 लक्ष्य प्राप्ति


ना मै गिरा और 

ना मेरी उम्मीदो के मीनार गिरे 

पर कुछ लोग 

मुझे गिराने मे कई बार गिरे


कुछ ललचाने में

कुछ डराने में


कुछ भटकाने में

कुछ ऊपर पहुंचाने में

लोग रहे छिटकाने में

पर

मेरी नजर रही निशाने पे

मैं रुका नहीं

मैं झिझका नही

मेरा ध्यान भटका नही


वोह गौण हो गए

नजरों से ओझल रहे


मैं लक्ष्य पर पहुंच गया

कारवां गुजर गया

वोह गुबार देखते रहे।

Monday, February 5, 2024

जीवन का सार


जीवन का सार

मेरे तो जीवन का यही सार है। 

टकराया तुफानो से               

पहाड़ किये पार हैं।।                               


डरा नही शैतानो से,               

हारा नही मुसीबतों से,   

सीख ली नाकामयाबियों से,        

तकदीर लिखी अपने कर्मो से,

खुद, खुदा और खुदाई पर भरोसा,               

मित्रों से सर्वदा पाया प्यार है।।


कभी लगा शिखर आ गया

कभी निराशा के समुंदर में डूब गया

कभी अर्श पर

कभी फर्श पर

कभी जिंदगी की खुशी मनाते हुए

कभी पाया मौत के मुख में समाते हुए

कभी सफलता के जोश में

कभी असफल टूटा, गिरा 


लेकिन आत्म शक्ति और प्रभु पर भरोसा

हर दुख, गम को उड़ाता चला

जिंदगी को जीता, 

गमों में भी मुस्कुराता चला गया।

आज मुकाम यानी के एक सुखद पड़ाव


नही रुकूंगा 

नही डरूंगा

नही घबराऊंगा

नही इतराऊंगा

हर सफलता प्रभु अर्पण

हर हार को 

एक सबक की तरह अपनाऊंगा

मेरे तो जीवन का यही सार है।