Friday, May 2, 2008

मई दीवस

नसले बिता दी जिनकी गुलामी में 'खालिद'
मिला फ़क़त एक दिन कम पड़ता है गम बताने में ......
1 मई मजदूर दिवस ये सिर्फ एक झुनझुना है

कौन कहता है की ......
तुझे झुन्झाना बजाना आता नहीं

एक दीन ही सही बजा लाडले बजा.............

मई दीवस बगावत की नीसानी है

मजदूरों की एकता और आजादी की नि्सानी है

रूस चीन टूट गए , लाल से काले पीले होगये

६० साल बाद हमारी आजादी के- लाल वाकिय में लाल हो गए

परमाणु और महंगाई के इसु पर लाल होते होते

सरकार गिराने वाले होगये
ख़ुशी का झुन्झना बजा लाडले बजा...................

लाल सलाम का दीन हर साल आता है

जैसे तेरा जन्मदिन तू मनाता है

तब तुझे नहीं दूसरा दीन याद आता है

यार झुनाझाना गिफ्ट में लेकर आता है

और तेरे साथ मिलके बजाता है

बजा लाडले बजा

तू रोज जस्न मना- यारों को बुला - माल खिला

और फीर ठाट से - बजा झुन्झना लाडले बजा

2 comments:

आलोक said...

श्रीकृष्ण जी, आप यदि अक्षर थोड़े गाढ़े रंग के कर दें तो पढ़ने में आसानी होगी।

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया बधाई