Thursday, May 8, 2008

नगमा

औ दुनिया के रखवाले सुन दर्द भरे मेरे नाले
बहूत खूब कहा लेकीन दोस्त ................


नगमे दर्द और ख़ुशी दोनो के होते है
मिलन और बिछड़ने के होते है

हार और जीत भी नगमे बनाती है
प्रभु की प्रार्थना बहुत दूर जाती है

पन्नों पे तो कालिख बिखरती है
जब दिल को भा जाये तो कविता-ग़ज़ल-नगमा बनती है
सबूत है कुरान बाइबल गीता रामायण

पढ़ते पढ़ते पन्ने फट गए कितनी ये पुरातन

जब भी पढो नया अर्थ निकल आता है
कोई दर्द नहीं बल्कि दवा-एदर्द इन का कलाम बन जाता है

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