Saturday, May 31, 2008

दिल और जान


दिल की लगी है बुझती नहीं
आंसूं की झडी है जो रूकती नहीं

हमने तो तराने गाये थे तेरे को खुदा जान कर
बाहों के ताज पहिनाए थे दिलरुबा जान कर

तू पत्थर का सनम निकलेगी यह गुमान ना था
किस्मत अपनी अपनी नहीं तो मैं आदमी था काम का

दिल की चिंगारी को दिलजला ही जानता है
शोले जब भड़के आशिक के दिल में 'जख्मी' ही जानता है

चाँद भी तू तारे भी तू आगोश में मेरे तो बहारें भी तू
तू दूर तो अमावस और पूनम की रात अगर पास है तू

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