Thursday, December 14, 2023

आज का सत्य

 आंसू बता देते हैं, प्यार कितना है।

बेरुखी बता देती है हमदम कैसा है? 


घमंड बता देता है कितना गरीब है? 

संस्कार गुरु का नाम बता देते  हैं। 


बोली बता देती है इंसान की औकात, 

बहस बता देती इंसान की सोच। 


ठोकर खोल देती हैं आंखे, कितनी ही बार

नजरें बता देती है इंसानी सीरत बार बार


स्पर्श की गर्मी नाप लेती अपनापन 

राजा और रंक सभी को वक्त बड़ा बलवान 


वक्त तो बदलता है हर इंसान का 


कायनात में सब कुछ मुक्कदर 

बदल जाती इंसानी आंखे देख दौलत, ताकत और मजबूरी में यानी मिनटों में 

बना देती उसी इंसान को शेरू से शेरा और  शेरखान।

  

*समाज तो एक फुलवाड़ी होता है जिसमे भांति भांति के पुष्प होते हैं। कुछ मनोहर, कुछ रोचक, कुछ पाचक, कुछ दवा या जहर भी होते हैं। 

हमे दो पैर वाला सामाजिक प्राणी कहा माना जाता है और हम में भी कुछ मनोहर, कुछ रोचक, कुछ पाचक, कुछ दवा या जहर भी होते हैं।

Sunday, November 26, 2023

स्मृति

स्मृति 

हमने ना जाने कितनी
सालगिरह साथ मनाई
हर वर्ष लक्ष्मी रूप में,
तुम लक्ष्मी साथ आई।
प्रिय,
1972 का वोह दिन रह रह उभरता है
सोच सोच दिल जोर जोर धड़कता है

घोड़ी पर चढ़ मैं तुम्हे मनाने आया था।
लंबा चौड़ा लश्कर भी साथ लाया था।

तुम सहमी सी,
हिरणी की आंखो सी निहार रही थी।
दो दिलों में तो प्रेम कली खिल रही थी।

प्रति वर्ष यह तिथि खास होती थी।
मधुरतम मधु रात्रि की समृति
हर्षित मोहित करती थी।

प्रथम वर्ष समाप्ति पूर्व
ईश्वर की सौगात पाई थी।

पुत्र रत्न की किलकारी
हर किसी को हरसाई थी।

जिंदगी को विराम कहां
हमे तुम्हे था विश्राम कहां?

संघर्ष में बनी थी तुम संबल मेरा।
मेरी हार को भी जीत माना
मुझे बांधा विजय सेहरा।

क्षणिक खुशी के पलों को भी
तुम्हारा संबल मिला
कन्या और दित्य पुत्र प्राप्ति से
परिवार पूर्ण हो चला।

हम चलते चलते ना जाने
कहां से कहां पहुंच गए।

मैसूर आ कर थमना था तो जम गए।
विश्वास नहीं होता की

कैसे यह वर्ष निकल गए।

आज फिर वोह ही दिन पाया है।
विवाह की स्मृति का अवसर आया है।

तुम बिन इस दिन का कोई अर्थ कैसे।
तुम नहीं तो विवाह  वर्षगांठ शूल जैसे।

आज तुम्हे याद कर
तुम्हारे चित्र को
अश्रुपुष्प अर्पण करता हूं
मन पटल पर छाई
तुम्हे नमन करता हूं।

काश आज तुम होती
इस दिन बड़ी रौनक,
देवी दर्शन, दावतें होती

सभी मित्र, बंधु बांधव,
नाती पौते बलैया लेते।

आज के दिन को
पूर्व जैसा जी लेते।

बंद कमरे में, अकेला
तुम्हारी यादों में खोया हूं।

आसमान को निहारता
तारों में तुम्हे खोजता हूं।

तुम्हारी तस्वीरों में मन विचर रहा
साथ बिताए हर पल स्मरण कर रहा

भरपूर गृहस्ती संसार है
लेकिन प्रिय तुम बिना बेकार है।
🌹 🌹🌹 🌹

डा श्रीकृष्ण मित्तल

Wednesday, November 8, 2023

भाजपा का एक कार्यकर्ता








हां,मै हूं भाजपा का एक कार्यकर्ता

कमल को मेरी जरूरत होती है, मै 1--2 वर्ष मे सिर्फ चंद दिनों  के लिए ही दिखता हूं,
मुझे नही प्रतिक्षा होती किसी निमंत्रण, आवाहन की, मै स्वयं भीड़ मे से निकल कर आ जाता हूं, और मेरा काम समाप्त हो जाने के बाद मे फिर से भीड़ मे खो जाता हूं,
कमल खिलता है तो मै प्रसन्न हो उठता हूं और कमल मुरझाता है तो मै दुखी हो जाता हूं,
मुझे नही पता कि कौन प्रत्याशी है मै सिर्फ कमल को खिलता हुआ देखना चाहता हूं, मुझे खुशी होती है कि मेरा देश सुरक्षित हाथो मे होता है,
मुझे बूथ पर ना खाना चाहिए ना चाय चाहिए, मै भूखे रहकर भी निस्वार्थ भाव से कमल खिलाने के लिए जी जान से जुटा रहता हूं,
जीतने वाले प्रत्याशी को मै नही जानना चाहता, बस मै चाहता हूं कमल खिलता रहे और इसी लिए मै तन मन से जुटा रहता हूं,
हां मै हू भाजपा का एक कार्यकर्ता....
जीतने वाला जीत कर आगे चला जाता है,क्षेत्र, राज्य, देश सेवा पर
मै फिर इंतजार करता हूं आने वाले चुनावी साल का, फिर से नया प्रत्याशी आयेगा, मै फिर जुट जाता हूं ताकि कमल खिले,
शायद मैं विस्मृत कर दिया जाता हूं  पर मेरी निष्ठा मुझे फिर ले जाती है कमल की ओर,
मैने देखे है , कमाई करने वाले, फोटो खिचाने और अपनी शक्ल दिखाने वाले,वे कितना काम करते है ये भी मैंने देखा है,
पर मुझे मुझे अपने कमल की ताकत में बढ़ोतरी, उसके विशाल जनादेश में विश्वास, यानी सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास
मुझे स्मरण ही पंडित दिन दयाल उपाध्याय जी का एकात्म मानववाद, मुझे विश्वास है नरेंद्र भाई मोदी के संकल्प, अथक कार्य, दरिद्र नारायण की सर्व  और इसी लिए मित्रों, मै जुटा रहता हूं
हां मै हूं  का एक कार्यकर्ता
भारतीय जनता पार्टी
 डा श्रीकृष्ण मित्तल 
   🙏🙏🙏🙏🙏.

Saturday, November 4, 2023

करवाचौथ

 आज करवाचौथ पर 

तुम्हारी बहुत याद आ रही है।


तुम्हारी वर्षो वर्षो तक 

मेरे जीवन की कामना 


मेरे स्वास्थ्य हेतु सोचना

निर्जल रह कर व्रत रखना


फिर चंद्र दर्शन कर

मेरे हाथों से जल अन्न ग्रहण करना


अखंड सौभाग्यवती 

समृद्ध परिवार घर द्वार


जिस के कण कण में 

तुम चिर विद्यमान


पर मैं एक साधारण इंसान

नहीं भूल पाता तुम्हे भाग्यवान


आज फिर तुम बहुत याद आ रही हो।

Thursday, November 2, 2023

पत्रकार संदेश

 देख तेरे इंसान की हालत क्या होगयी भगवान 

पत्रकार सा  होता था, नही, कोई महान 


आज कलम का, कागज से, मै दंगा करने वाला हुँ

मीडिया की सच्चाई को, मै नंगा करने वाला हुँ


रामनाथ गोयनका चित्रा जैसे पत्रकारों ने इंदिरा जी को भी नही छोड़ा था 

जीप काण्ड हो या बोफर्स, चारे से भी मुह नही मोड़ा था 


धुल छठा दी थी इस ने, सेंसरशिप के महा पाप को 

नही बक्शते थे कलम के धनी, किसी के भी बाप को 


देश की आज़ादी में, कितने ही ऐसे वीर थे 

रात छापते, दिन में बांटते,ऐसे कितने ही,कलम वीर थे 


सत्य की मशाल, जिनके हाथ में होती थी 

उनसे तो तुरत न्याय की,जनजन को आस  होती थी 


पत्रकार सुन्दरी, नेताओं से विवाह रचने लगी 

बसी बसाई घर गृहस्ती पर, दुश्मन सी दिखने लगी 


आज यह गणतन्त्र का, चौथा स्तम्भ, टुकडो में बट  गया

सत्ता लोलुप नेताओं का, 

विदेशी आकाओं का  

देशी विज्ञापन का 

सत्ता के गलियारों का 

पैसे, दारु सुविधा नारी का   

...................यह तो चाटुकार बन गया

 

चरित्र हनन, ब्लेक मेलिंग, दलाली, धमकी

 ना जाने कब, इनका पर्याय बन गये 

विकास, इन्साफ, सर्वहारा के रक्षक,


 ना जाने कब, सत्ता के गलियारों में खो गये 

लोकतंत्र को खतरा, आज मीडिया रक्षक  हो गये ..


मीडिया जिसको लोकतंत्र का चौंथा खंभा होना था

खबरों की पावनता की, जिसको गंगा होना था


आज वही दिखता है,हमको वैश्या के किरदारों मे

बिकने को तैयार खड़ा है, गली चौक बाजारों मे


दाल मे काला होता है, तुम काली दाल दिखाते हो

सुरा सुंदरी उपहारों की, खुब मलाई खाते हो


गले मिले सलमान से आमिर, ये खबरों का स्तर है

और दिखाते हिरोइन का, कितने फिट का बिस्तर है


म्यॉमार मे, सेना के साहस का, खंडन करते हो

और हमेशा दाउद का, तुम महिमा मंडन करते हो


हिन्दु कोई मर जाए तो घर का मसला कहते हो

मुसलमान की मौत को, मानवता पे हमला कहते हो


लोकतंत्र की संप्रभुता पर, तुमने मारा चांटा है

सबसे ज्यादा तुमने, हिन्दु मुसलमान को बॉंटा है


साठ साल की लूट पे, भारी एक सुट दिखलाते हो

ओवैशी को, भारत का तुम, रॉबिन हुड दिखलाते हो


दिल्ली मे जब पापी वहशी. चीरहरण मे लगे रहे

तुम ऐश्वर्या की बेटी के. नामकरण मे लगे रहे


अब ये दुनिया समझ चुकी है,  खेल ये बेहद गंदा है

मीडिया हाउस और नही, कुछ ब्लैकमेलिंग का धंधा है


हे पत्रकार बन्धुओं 

जागो,  जागो,  जागो, जाग जाओ 

इतनी भी देर ना हो जाये की भुला दिए जाओ 


गुंगे की आवाज बनो, अंधे की लाठी हो जाओ

सत्य लिखो निष्पक्ष लिखो और फिर से जिंदा हो जाओ.

Sunday, October 29, 2023

आज का ख्याल

मुझे नहीं फुरसत दुश्मनी की।                            

मुझे कहां कमी है अपनो की।



मैं तो व्यस्त हूं अपनो,

मित्रों का प्यार संयोजनें में।   

 क्या रखा है दुखड़े रोने में।।                     


मुझे पसंद खुशबूदार बगीचे  

नीला आसमान, बहते दरिया

मैं क्यों सोचूं 

अदावती,शैतानों के बारे में। 


जिंदगी मिली है जीने के लिए

कुछ करने कुछ करवाने के लिए


समय की कद्र,सदुपयोग,

कामयाबी की और।

मेरी तजुरी खुलती है

 महज एक ही और।


जीवन के इस पड़ाव में 

जब मैं मुड़ के देखता हूं।


मुझे दिखता है तुम्हारा प्यार

फूलों सी खुशबू

इतर की महक

मां से मिली ठंडक

समाज, क्षेत्र, देश से मिले

तमगे, माला, सम्मान


मुझे नहीं फुरसत, 

भोकने वालों, 

पीठ पर खंजर घोपने वालों को 

जवाब देने की

क्योंकि मुझे अहसास है

एक दिन,उनका भी प्यार 

मिलने का मुझे विश्वास है 


*डा श्रीकृष्ण मित्तल*


Wednesday, September 20, 2023

हिंदी हिन्द की शान

 हिंदी हिन्द की शान।

 हिंदी में भरा सर्व ज्ञान।। 


हिंदी में देव का आवाहन। 

हिंदी ही ग्राम विचारों का वाहन।।


राष्ट्रसंघ में अटल - सुषमा जी ने बढ़ाया मान।

मोदी जी ने जी 20 में हिंदी  को दिया सम्मान।।


 देवनागरी में व्यक्त होती हिंदी। 

जनमानस की अभिव्यक्ति हिंदी।।


 भारत के सविंधान की भाषा हिंदी। 

आओ हम सभी मिल अपनाएं हिंदी।।


हिंदी भाषियों को हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई। 

आइए बोलने, लिखने, प्रकाशन में अधिक से अधिक राष्ट्रभाषा हिंदी का उपयोग करें।

Monday, September 18, 2023

प्रियत्मा से बिछोह

 प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

जीवन के हर मोड़ पर तुमने साथ दिया

 हर ख़ुशी दी, हर सुख दिया || 

गत ५० वर्षो के संग की याद आती है

विवाह की स्मृति सर्वदा मनमंदिर पे छा जाती है ||

 प्रथम पुत्र प्राप्ति की पूर्व संध्या में 

हमने बाबी देखी थी और बाबी आया था 

शीघ्र ही कन्या रत्न व् दित्य पुत्र भी पाया था || 


प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

गृहस्वामिनी, भाग्यवान सर्वदा प्रभु में आस्थावान थी 

व्रत, पूजा, उजमन, यज्ञ तीर्थ,दान में निष्ठावान थी 

मेरी प्रिया, अर्धांगनी, मेरी प्रेरणा, मेरी जान थी

नाम ही नहीं रूप और कर्म में लक्ष्मी समान थी || 

बाबा दादी पिता-माता जी के देहांत पर 

तुमने अहम् काम निभाया था 

मेरे सभी भाइयों को पुत्रवत अपनाया था

 अपनी ननद को सुख में विदा किया 

दौरानियों ने बहिन रूप में पाया था|| 


प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

नहीं भूलता कन्या विदा करना और बहूएँ लाना दिल्ली, बेंगलोर और वृन्दावन का विवाह ठिकाना| 

सुन्दर जामाता, बहूएं आई घर में

 ख़ुशहाली और प्रसन्नता का खजाना || 

सुन्दर दोहती पौत्रों का प्रशाद मिला

 घर खुशियों से भर गया तुम्हारा मन खिला ||


 प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

मै थका हारा आता, 

तुमसे उर्जा उत्साह पाता था|| 

मेरे हर निर्णय मेंतुम्हारा योगदान होता था

 जीवन के झंझावात में तुम साथ देती थी 

संगनी भार्या मित्रसमान चर्चा करती, 

राय देती थी || 


प्रिये तुम बहुत याद आती हो

जब श्रंगार कर तुम सामने आती थी

मेरी तो अपलक आँखें तुम पर टिक जाती थी याद आता तुम्हारा रूठना और मेरा मनाना तुम्हारा मुझे झुकाना और फिर मान जाना ||


 प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

अजब हमारी गृहस्ती थी 

कितनो को भाती, कितनो को खलती थी || 

हम मोर मोरनी की तरह चलते थे 

घर बेघर, ऊपर नीचे, देश परदेश, 

हर हाल- अभाव में भी में प्रसन्न रहते थे

 हमने मधु यामनी के मधुर पल भी संजोये थे


 प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

गावं हो या नगर,देश या विदेश पल पल

 हम जीए थे|| 

कलकता,मुंबई, काशी, गया, आगरा का ताज या वृन्दावन दार्जलिंग,शिमला,मसूरी काश्मीर नैनीताल उंटी, कोडई,चेन्नई,

मैसूरकी चामुंडी माँ केदार,नीलकंठ,बद्रीविशाल मदुरई मीनाक्षी या वैशनवी माँ, 

अग्रोहा, रामेश्वरम,तिरुपति, राधावल्लभजी बयावला,

बिहारीजी आदि दर्शन नेपाल, मलेशिया,सिंगापुर, या श्रीलंका की मधुर यादें

 घुमड़ घुमड़ कर आती छाई यादें

 मन पर हर पल आदेशों का पालन करती मेरी दिलबर | 

प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

बहूत सी कामनाएं बाकी हैं 

तुम्हारीकमी रहेगी परन्तु थाती हैं 

आज परिवार में सम्पन्नता खुशहाली है

 तुम्हारी कमी कैसे पूर्ण होगी 

पूछता यह सवाली है|| 


प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

सोच सोच थर्राता हूँ ।

अब यह समय कैसे निकलेगा 

पुत्र पुत्रवधू पौत्र, बेटी दामाद भाई बहुओं का बंधू बांधवो संगी साथियों का साथ तो मिलेगा दिल को बहुत समझाता हूँ || 


प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

हर पल हर क्षण हर कार्यमें तुम याद आओगी इस याद में ही कभी यह जान निकल जाएगी 


प्रिये, इन्तजार करना 

ऊपर जल्दी ही साथ आऊंगा

सात जन्मों का वादा था

तुम्हे भी निभाना होगा 

मै भी शीघ्र निभाऊंगा. ........................

.डा श्रीकृष्ण मित्तल

Thursday, September 14, 2023

वरिष्ट जनों की दास्तान

मैं नशे में रहता हूं
तुम्हारा क्या हाल है?
 यह दुनिया बेगानी, 
जी का जंजाल है|

कुछ सुनो कुछ सुनाओ ,
कुछ याद रखो, 
कुछ भूल जाओ
रहो नशे में प्यार के यारों
भूलो दुख, दर्द, नफरत प्यारों|

इस ग्रुप में सभी पके आम हैं
रस भरे, तजुर्बे पर खरे, 
चिंता, सलाह, सोच इनका काम है
जब तक रहें इनका जलवा
फिर तो दीवार पर लटकना
हमारा अंजाम है ||

Wednesday, September 13, 2023

हिंदी की महिमा

हिंदी हिन्द की शान।

 हिंदी में भरा सर्व ज्ञान।। 


हिंदी में देव का आवाहन। 

हिंदी ही ग्राम विचारों का वाहन।।


राष्ट्रसंघ में अटल - सुषमा जी ने बढ़ाया मान।

मोदी जी ने जी 20 में हिंदी  को दिया सम्मान।।


 देवनागरी में व्यक्त होती हिंदी। 

जनमानस की अभिव्यक्ति हिंदी।।


 भारत के सविंधान की भाषा हिंदी। 

आओ हम सभी मिल अपनाएं हिंदी।।

Monday, August 14, 2023

जिम्मेदार कोन

 एक था पंडित नेहरू 

और एक था जिन्ना             

सत्ता की लोलुपता में 

भूल गए जनता का सीना।। 


लाखों के हत्यारे ये दो 

आगजनी, बलात्कार के

 संयोजक ये दो।

क्या इतिहास में माफी पाएंगे ये दो?   

नही रुके, ये देश के गद्दार। 

धारा370, 

कश्मीर के टुकड़ों के 

ये ही जिम्मेदार ।।      

हम कैसे भूल पाएंगे 

श्यामाप्रसाद मुखर्जी का बलिदान 

उनका नारा 

एक देश, एक परचम

एक निशान एक सविधान


एक ' नरेंदर' का होश जोश था

लाल चौक पर तिरंगा फैराना 

एक मारोगे हम 10 मारेंगे

उसका अहद, जोश था।

देश को ' अमिट' विश्वास था

' हर्ष ' और 'राज' का साथ था


धारा 370 को कर डाला खामोश था।

फारुक, मुफ्ती, 

देश के दुश्मन देखते रह गए

कश्मीर में तिरंगे फैरते  गए।

आज कश्मीर गुलजार है

पड़ोसी टुकड़ा मिलने को बेकरार है।

भारत माता की जय

Tuesday, June 20, 2023

मेरा हिंदुस्तान कहां है

 मेरा हिंदुस्तान कहां है 

लाल बाल पाल कुर्बान हो गए

भगत,आजाद, चिरनिद्रा में सो गए

पूछते आज 

बोलो नेहरू, बोलो गांधी

मेरा हिन्दुस्तान कहां है?


जिस पर था सर्वस्व लुटाया,

मेरा वो अरमान कहां है?

बोलो नेहरू, बोलो गांधी,

मेरा हिन्दुस्तान कहां है?


सैंतालीस में भारत को बांटा,

'उनको' पाकिस्तान दे दिया;

"दो गालों पे थप्पड़ खा लो"

मुझे फालतू ज्ञान  दे दिया;


मुझे बताओ यही ज्ञान तुम,

उनको' भी तो दे सकते थे;

नहीं बंटेगी भारत माता,

ये निर्णय तुम ले सकते थे;


मगर देश को छिन्न-भिन्न कर,

दुनिया भर की सीख दे गए,

हिन्दू को दो-फाड़ कर दिया,

आरक्षण की भीख दे गए!


एक अरब हिन्दू लावारिस,

कहो हमारा मान कहां है?

बोलो नेहरू, बोलो गांधी,

मेरा हिन्दुस्तान कहां है?*


'सेकुलर' राष्ट्र बनाना था तो,

बिन बंटवारे भी संभव था;

छद्म-धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र,

बिन भारत हारे भी संभव था;


'उन्हें' पालना ही था तो,

क्यों टुकड़े भारत के कर डाले?

मुझे बताओ किस की ख़ातिर,

डाके अपने ही घर डाले?


एक चीन क्या कम दुश्मन था,

बाजू पाकिस्तान बिठाया;_

कदम-कदम पर इसी पाक से,

हम सब ने फिर धोखा खाया;


जितनी सस्ती जान हमारी,

उतनी सस्ती जान कहां है?

बोलो इंदिरा, बोलो राजीव,

मेरा हिन्दुस्तान कहां है?


मुस्लिम की ज़िद पूरी कर दी,

हिन्दू का अधिकार भुलाया;

भूले सावरकर की पीड़ा,

और बोस का प्यार भुलाया;


धूल-धूसरित, जग में लज्जित,

भारत का सम्मान कर दिया;

दो लोगों की पदलोलुपता,पे 

भारत बलिदान कर दिया !


उधम सिंह को पागल बोला,

मरने दिया भगत को तुमने;

चापलूस के हैं पौ-बारह,

दिखला दिया जगत को तुमने;


जो जीते उनको हरवाया,

'वल्लभ' का सम्मान कहाँ है?

बोलो राहुल, बोलो सोनिया


टूटा -फूटा जैसा भी था,

सैंतालिस में भारत पाया;

पर मुझको भी हक़ मिल जाये,

*ये तुमको हरगिज़ ना भाया;*


मुल्लों की तनख्वाह बांध दी,

मंदिर लूटे तुमने जी भर;

सेकुलर की परिभाषा गढ़ दी,

उन्हें सब्सिडी, हिन्दू पे कर !


ना पुराण ना वेद पढ़ाये,

जाने क्या बकवास पढ़ाया;

शिक्षा में घोटाला कर के,

अधकचरा इतिहास पढ़ाया;


पूछे गौरव इस भारत में,

हिन्दू की पहचान कहां है?

बोलो राहुल, बोलो सोनिया,

मेरा हिन्दुस्तान कहां है?

Sunday, May 14, 2023

माँ की यादें

 माँ की यादें ............................


हर माँ की येही है कहानी

आँचल में दूध और आंखों में पानी ||

बहुत खूब तुम्हे आपनी माँ का त्याग 

आज भी याद है


मुझको याद की अक्सर ऐसा होता था||

वह गर्मी की राते और बत्ती गुल


एक पंखा बिना रुके 

उसके हाथो में चलता था


वो जागती सारी रात, 

मैं उसकी नींदे सोता था ||

गर्मी की राते, 

गुल बत्ती, 

बिना रूके उसके हाथ में झलता पंखा,

.....................................मेरा भाग्य   है

उसका जागना,

मेरा  चैन से सोना, 

उसकी नींद नहीं, 

हर माँ की बीती रात है


मुझे आज भी याद है ||


मुझे याद है माँ वोह 

बड़ा मुश्किल जमाना, 


पिताजी का देर रात को

 थका हुआ घर आना. 


तुझे सारे दिन का दुखडा सुनाना 

और तेरा उन्हें ढाढस बंधाना.......................


एक स्वेटर पुराना, 

अभी भी मुझे बहुत प्यारा ............


हजारो धुलाई चुरा ना सकी,

उससे  तेरे  हाथो की खुशबु


वो स्वेटर बुनती ऐसे, 

ख्वाब बुनती हो जैसे 

दिन में पूरे मोहल्ले के स्वेटर बुनना..

जैसे फूलों का चुनना ,.....................

ख्वाबों का बुनना ..............................


और उसमे से मेरे इस ही 

 स्वेटर का  चुनना ||


यह मेरी जिन्दगी का 

सबसे प्यरा तोहफा है 


धुल चूका हजारों बार, 

फिर भी घना चौखा है ||


आज भी छुपके  मैं, 

बंद करके कमरा, 

अलमारी खोलता हूँ


वोह तेरा बुना स्वेटर, 

समेटे तेरे हाथों की खुशबू, 

उसे बार बार सूंघता हूँ ||


इसे आज भी पहनता हूँ तो

 " माँ"  तेरी याद आती है

बंद कमरे से मैं अकेला नहीं 

तेरी खुशबू भी साथ जाती है||

जब से तुझे देखा है माँ ,

 मुझे भगवान भी भूल गए


तुने मुझे जन्म दिया , 

आज के झंझावात में हम 

सभी शायद भूल गए

मै आज विश्व मातृदिवस पर 

गौ माँ, भारत माँ, 

धरती माँ को नमन करता हूँ |

व् समस्त मातृशक्ति को 

सादर स्मरण करता हूँ ||



Sunday, April 2, 2023

सेवा निवृत की व्यथा

 हर सेवा निवृत की जबानी है

हर घर की यही कहानी है।

 

रखो व्यस्त खुद को 

हर काम अर्पण प्रभु को।


कुछ लिखो

कुछ पढ़ो

कुछ सुनो

कुछ सुनाओ


कुछ यात्रा, कुछ विश्राम

कुछ आराधना, कुछ ध्यान

खुश रहो, पूर्ण करो, बाकी अरमान


सेवानिवृत्ति के बाद का एक दृश्य यह भी—

जब से सेवानिवृत्त हुआ हूँ, 

परिवार हो गया हूँ,

सारे परिवार की ज़रूरतों का, 

आधार हो गया हूँ।

सुनसान घर का चौकीदार, ब

च्चों के लिये घोड़ा,

बहुओं के लिये बैंक, 

रिश्तों को व्यवहार हो गया हूँ।

याद आने लगे सब रिश्तेदार, 

तन्हाई से बचने को,

व्यस्त रहने को, समाज का 

कर्णधार हो गया हूँ।

अपने ही बच्चे कहते कंजूस, 

धन पर कुंडली बताते,

खुले हाथ से खर्च किया, 

सबको स्वीकार हो गया हूँ।

Sunday, January 29, 2023