Sunday, November 26, 2023

स्मृति

स्मृति 

हमने ना जाने कितनी
सालगिरह साथ मनाई
हर वर्ष लक्ष्मी रूप में,
तुम लक्ष्मी साथ आई।
प्रिय,
1972 का वोह दिन रह रह उभरता है
सोच सोच दिल जोर जोर धड़कता है

घोड़ी पर चढ़ मैं तुम्हे मनाने आया था।
लंबा चौड़ा लश्कर भी साथ लाया था।

तुम सहमी सी,
हिरणी की आंखो सी निहार रही थी।
दो दिलों में तो प्रेम कली खिल रही थी।

प्रति वर्ष यह तिथि खास होती थी।
मधुरतम मधु रात्रि की समृति
हर्षित मोहित करती थी।

प्रथम वर्ष समाप्ति पूर्व
ईश्वर की सौगात पाई थी।

पुत्र रत्न की किलकारी
हर किसी को हरसाई थी।

जिंदगी को विराम कहां
हमे तुम्हे था विश्राम कहां?

संघर्ष में बनी थी तुम संबल मेरा।
मेरी हार को भी जीत माना
मुझे बांधा विजय सेहरा।

क्षणिक खुशी के पलों को भी
तुम्हारा संबल मिला
कन्या और दित्य पुत्र प्राप्ति से
परिवार पूर्ण हो चला।

हम चलते चलते ना जाने
कहां से कहां पहुंच गए।

मैसूर आ कर थमना था तो जम गए।
विश्वास नहीं होता की

कैसे यह वर्ष निकल गए।

आज फिर वोह ही दिन पाया है।
विवाह की स्मृति का अवसर आया है।

तुम बिन इस दिन का कोई अर्थ कैसे।
तुम नहीं तो विवाह  वर्षगांठ शूल जैसे।

आज तुम्हे याद कर
तुम्हारे चित्र को
अश्रुपुष्प अर्पण करता हूं
मन पटल पर छाई
तुम्हे नमन करता हूं।

काश आज तुम होती
इस दिन बड़ी रौनक,
देवी दर्शन, दावतें होती

सभी मित्र, बंधु बांधव,
नाती पौते बलैया लेते।

आज के दिन को
पूर्व जैसा जी लेते।

बंद कमरे में, अकेला
तुम्हारी यादों में खोया हूं।

आसमान को निहारता
तारों में तुम्हे खोजता हूं।

तुम्हारी तस्वीरों में मन विचर रहा
साथ बिताए हर पल स्मरण कर रहा

भरपूर गृहस्ती संसार है
लेकिन प्रिय तुम बिना बेकार है।
🌹 🌹🌹 🌹

डा श्रीकृष्ण मित्तल

Wednesday, November 8, 2023

भाजपा का एक कार्यकर्ता








हां,मै हूं भाजपा का एक कार्यकर्ता

कमल को मेरी जरूरत होती है, मै 1--2 वर्ष मे सिर्फ चंद दिनों  के लिए ही दिखता हूं,
मुझे नही प्रतिक्षा होती किसी निमंत्रण, आवाहन की, मै स्वयं भीड़ मे से निकल कर आ जाता हूं, और मेरा काम समाप्त हो जाने के बाद मे फिर से भीड़ मे खो जाता हूं,
कमल खिलता है तो मै प्रसन्न हो उठता हूं और कमल मुरझाता है तो मै दुखी हो जाता हूं,
मुझे नही पता कि कौन प्रत्याशी है मै सिर्फ कमल को खिलता हुआ देखना चाहता हूं, मुझे खुशी होती है कि मेरा देश सुरक्षित हाथो मे होता है,
मुझे बूथ पर ना खाना चाहिए ना चाय चाहिए, मै भूखे रहकर भी निस्वार्थ भाव से कमल खिलाने के लिए जी जान से जुटा रहता हूं,
जीतने वाले प्रत्याशी को मै नही जानना चाहता, बस मै चाहता हूं कमल खिलता रहे और इसी लिए मै तन मन से जुटा रहता हूं,
हां मै हू भाजपा का एक कार्यकर्ता....
जीतने वाला जीत कर आगे चला जाता है,क्षेत्र, राज्य, देश सेवा पर
मै फिर इंतजार करता हूं आने वाले चुनावी साल का, फिर से नया प्रत्याशी आयेगा, मै फिर जुट जाता हूं ताकि कमल खिले,
शायद मैं विस्मृत कर दिया जाता हूं  पर मेरी निष्ठा मुझे फिर ले जाती है कमल की ओर,
मैने देखे है , कमाई करने वाले, फोटो खिचाने और अपनी शक्ल दिखाने वाले,वे कितना काम करते है ये भी मैंने देखा है,
पर मुझे मुझे अपने कमल की ताकत में बढ़ोतरी, उसके विशाल जनादेश में विश्वास, यानी सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास
मुझे स्मरण ही पंडित दिन दयाल उपाध्याय जी का एकात्म मानववाद, मुझे विश्वास है नरेंद्र भाई मोदी के संकल्प, अथक कार्य, दरिद्र नारायण की सर्व  और इसी लिए मित्रों, मै जुटा रहता हूं
हां मै हूं  का एक कार्यकर्ता
भारतीय जनता पार्टी
 डा श्रीकृष्ण मित्तल 
   🙏🙏🙏🙏🙏.

Saturday, November 4, 2023

करवाचौथ

 आज करवाचौथ पर 

तुम्हारी बहुत याद आ रही है।


तुम्हारी वर्षो वर्षो तक 

मेरे जीवन की कामना 


मेरे स्वास्थ्य हेतु सोचना

निर्जल रह कर व्रत रखना


फिर चंद्र दर्शन कर

मेरे हाथों से जल अन्न ग्रहण करना


अखंड सौभाग्यवती 

समृद्ध परिवार घर द्वार


जिस के कण कण में 

तुम चिर विद्यमान


पर मैं एक साधारण इंसान

नहीं भूल पाता तुम्हे भाग्यवान


आज फिर तुम बहुत याद आ रही हो।

Thursday, November 2, 2023

पत्रकार संदेश

 देख तेरे इंसान की हालत क्या होगयी भगवान 

पत्रकार सा  होता था, नही, कोई महान 


आज कलम का, कागज से, मै दंगा करने वाला हुँ

मीडिया की सच्चाई को, मै नंगा करने वाला हुँ


रामनाथ गोयनका चित्रा जैसे पत्रकारों ने इंदिरा जी को भी नही छोड़ा था 

जीप काण्ड हो या बोफर्स, चारे से भी मुह नही मोड़ा था 


धुल छठा दी थी इस ने, सेंसरशिप के महा पाप को 

नही बक्शते थे कलम के धनी, किसी के भी बाप को 


देश की आज़ादी में, कितने ही ऐसे वीर थे 

रात छापते, दिन में बांटते,ऐसे कितने ही,कलम वीर थे 


सत्य की मशाल, जिनके हाथ में होती थी 

उनसे तो तुरत न्याय की,जनजन को आस  होती थी 


पत्रकार सुन्दरी, नेताओं से विवाह रचने लगी 

बसी बसाई घर गृहस्ती पर, दुश्मन सी दिखने लगी 


आज यह गणतन्त्र का, चौथा स्तम्भ, टुकडो में बट  गया

सत्ता लोलुप नेताओं का, 

विदेशी आकाओं का  

देशी विज्ञापन का 

सत्ता के गलियारों का 

पैसे, दारु सुविधा नारी का   

...................यह तो चाटुकार बन गया

 

चरित्र हनन, ब्लेक मेलिंग, दलाली, धमकी

 ना जाने कब, इनका पर्याय बन गये 

विकास, इन्साफ, सर्वहारा के रक्षक,


 ना जाने कब, सत्ता के गलियारों में खो गये 

लोकतंत्र को खतरा, आज मीडिया रक्षक  हो गये ..


मीडिया जिसको लोकतंत्र का चौंथा खंभा होना था

खबरों की पावनता की, जिसको गंगा होना था


आज वही दिखता है,हमको वैश्या के किरदारों मे

बिकने को तैयार खड़ा है, गली चौक बाजारों मे


दाल मे काला होता है, तुम काली दाल दिखाते हो

सुरा सुंदरी उपहारों की, खुब मलाई खाते हो


गले मिले सलमान से आमिर, ये खबरों का स्तर है

और दिखाते हिरोइन का, कितने फिट का बिस्तर है


म्यॉमार मे, सेना के साहस का, खंडन करते हो

और हमेशा दाउद का, तुम महिमा मंडन करते हो


हिन्दु कोई मर जाए तो घर का मसला कहते हो

मुसलमान की मौत को, मानवता पे हमला कहते हो


लोकतंत्र की संप्रभुता पर, तुमने मारा चांटा है

सबसे ज्यादा तुमने, हिन्दु मुसलमान को बॉंटा है


साठ साल की लूट पे, भारी एक सुट दिखलाते हो

ओवैशी को, भारत का तुम, रॉबिन हुड दिखलाते हो


दिल्ली मे जब पापी वहशी. चीरहरण मे लगे रहे

तुम ऐश्वर्या की बेटी के. नामकरण मे लगे रहे


अब ये दुनिया समझ चुकी है,  खेल ये बेहद गंदा है

मीडिया हाउस और नही, कुछ ब्लैकमेलिंग का धंधा है


हे पत्रकार बन्धुओं 

जागो,  जागो,  जागो, जाग जाओ 

इतनी भी देर ना हो जाये की भुला दिए जाओ 


गुंगे की आवाज बनो, अंधे की लाठी हो जाओ

सत्य लिखो निष्पक्ष लिखो और फिर से जिंदा हो जाओ.