Thursday, May 22, 2008

राधा रानी के नयन रसीले

कांहा को निरख मंद हसत चितचोर तकत बैन छैलछबीले
बरसाने की गलियन में फिरत त्रिभंग वेश भरत गोपियन को डोले
राधा झाँकत खिड्कन ओट से श्याम बिहारी को पावत नहीं मन में बोले
चैन न आवत किशन बावरे बिना एक छन भी, वेग मिला "श्यामा" रसिक रस रसीले ॥

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