Tuesday, April 7, 2009

पत्थर दिल

पत्थर समजकर आज जो ठोकर लगा गए
समजकर कल वो शायद सर जुकायेगे।।

यह गलतफहमी क्यों हो गयी
की वोह सिर को झुकायेंगे ।

जो माँ बाप को पूछते नहीं
पत्थर कहाँ पूजने जायेंगे ।

ठोकर में पत्थर आया..................
कोई बात नहीं........

इंट ३ रूपये की आती है
नाली में पत्थर लगा कर पैसा बचाएंगे ॥

बड़ी कमजोर निकली तुम्हारी यारी रब्बा


"भूले है रफ्ता रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हमकिश्तों में खुदखुशी का मज़ा हमसे पूछिये !

बड़ी कमजोर निकली तुम्हारी यारी रब्बा
दो दिन नजरों से दूर हुए तो खुदकुशी की धमकी दे दी
कहीं हमारा जनाजा निकल जाता तो शायद .............
हुजुर तो जन्नत नशीं होती
अरे हम ऐसे वैसे आशिक नही
जो भूलने दे अपने रकीब को
अपना जलवा दिखाने को कभी कभी पर्दा भी डलता है
आज हमारा जलवा पूरा हिंद देख और सरहा रहा है
कुछ काम का बढ़ना, कुछ कामयाबी का और आगे बढना
कर गया मजबूर,और महरूम इस नाचिच को,
दोस्तों से दुआ सलाम करना
दिल चीर कर दिखा सकते नहीं वर्ना
तुम्हे अचरज होता
अरे वहां तुम्हारे अलावा और किसी का अक्श भी कैसे होता

वीरों की परिभाषा

वीरों की जरूरत
आज भाटों की नही वीरों की जरुरत है
जो भिड सके दुश्मनों से राष्ट्र के खातिर
खून खोलता हो जिसका अत्याचार देख
ऐसे ही चाहिए नोजवान जिसमे हो वेग.
..........
वीरों की जरूरत तो आदिकाल से चली आई है।
आल्हा उदल वीर शिवा छत्रसाल से यह धरा सजाई है॥

खून हो तो खोलेगा यारों
यहाँ तो डालडा और बिसलरी पिलवायी है॥

जो बोले हाथ कटवा दूंगा उसे रासुका,
जिसके साले ............
बीबी बेलगाम चले ............
और खुद बुलडोजर चलवाए .............
यह २ /३ की राजनीति
देश के नवजवानों पर छाई है ।।

बगल में तालिबान दहाड़ रहा...........
२६/११ हो चूका ..........
अब शायद मोदी अडवाणी जैसों की बारी आई है॥

एक नोजवान ने सत्य बोलने का साहस किया।
माया लालू मुलायम प्रियंका जैसो की बन आई है॥

गुरु कुर्बानी किसी मकसद से हो तो रंग लाती है।
नहीं तो खुदकुशी पर देश का कानून हरजाई है॥

इजहारे ऐ महोब्बत

सुबह शाम हमें याद आते क्यों हो,
सपनो में भी आके हमे रुलाते क्यों हो,
मेरा दिल तो सदा तुम्हारा तलबगार रहा,
फिर अभी इससे अक्सर तड़पाते क्यों हो,
ज़िन्दगी पहेले ही खड़ी है दोराहे पर,
इस पर भी तुम हमे भटकाते क्यों हो,
इश्क की इन्तहा बन गया है अब ये दर्द,
झूठे वादों से हमे बहलाते क्यों हो!!

किसी बेदर्द बहैया ने सवाल पूंछा हमसे
हमने कहा अक्स ए आईना देख
कितने दिलों को गुलाब की तरह कुचला तुने
कितने रकीबों इंनायत की दिखा कर तुने
हमने जब इज़हार ए मोहब्बत किया था
तुमसेतुमने दिखाई थी सड़कें और दुनियादारी की मुसीबतें
हम तो आज भी खडे इंतज़ार करते हैं अपने इश्क का
कब मिलेगी दो लह्मो की फुर्सत हमारी दिलरुबा को हमारे लिए
कभी आवाज देकर देखना जालिम
हम ही मिलेंगे इंतज़ार ए मेहरुबा के
कब्र के किनारे भी खडे हुए