Tuesday, May 13, 2008

जयपुर का नर संहार

होशियार नफरत के सौदागरों खबरदार
मत तोड़ हमारे सब्र का इंतज़ार

हमने विश्व को मानवता का सन्देश दीया
पंचशील और सद्भावना को माना और जिया

मजहबों से परे जा हर कौम को आदर दिया
इस देश में हर धर्म और मजहब ने प्यार अमन को जिया

कुर्बानी का जज्बा हर वतनी के दिल में है
तू संसद पर आये या जयपुर में जाये,स्वागत को तेरे हम एक हैं

भूल गया तू पिटाई कारगिल के संग्राम की
संसद में तेरी मौत की, जम्मू में तेरी मौत के तूफ़ान की


इस मुल्क का बाल भी बिगड़ता नहीं जब तक मुल्क पर हमारी निगेबाहं है आँखे
सर पे कफ़न माथे पे तिलक त्यार हैं हम कमर बांधे

हमने विश्व से आतंक ख़त्म करने का अहद लीया है
बंग बंधुओं से अफगानों से पूछ हमने क्या क्या नहीं किया है

जहर नफरत का तू इन हरकतों से घोल सकता नहीं
जीत सकता नहीं, बढ़ सकता नहीं हमें तोड़ सकता नहीं

खावायिश तेरी लालकिले पे चाय पीने की अभी भुला नहीं तू
शास्त्री के जय जवान के नारे की मार को आज भी याद कर तू

हमें लाहौर शांती की रेल भेजना आता है
तू अगर पीठ पर छुरा घोंपे तो कारगिल भी करना आता है

आज आखिरी चेतावनी तू इससे मान ले
छोड़ दे यह ओछी हरकते विनाश की तरक्की की डगर थाम ले

मत ले सब्र का इम्थाम हमारा नहीं तो तू पछतायेगा
कसम उस पाकपरवरदिगार की, हम उठ गए तो तुझे कौन बचायेगा

जयपुर के भाईओं इस दुःख की घडी में मत घबराना
पूरा देश तुम्हारे साथ है आतंकियों को है सबक सिखाना

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