Monday, May 5, 2008

कर्म- गीता

कर्म कीये जा फल की इच्छा मत कर रे इंसान
जैसे कर्म करेगा वैसे फल देगा भगवान
कर्म से ही भाग्य बनता है, होसले से कर्म बनता है

जिसने कर्म किया यानी होसला किया वोह पार हो गया
जो सोचता रहा और सोता रहा वोह पीछे रह गया


यह सच है की हार दिल तोड़ती है
लेकिन नाकामयाबी सफलता की पहली सीढ़ी होती है

ाम या करष्ण जवाहर या गाँधी-कौन नहीं हारा
लड़ गया तूफानों से,
बेपरवाह दुनीया की बातों से और जीत ने स्वीकारा

मुश्किल कीस चिडीया का नाम है हम नहीं जानते
होसला हमसे है, हार हम नहीं मानत

जनवी ने फतह १८वि बार में पाई थी
कृष्ण ने गीता कुरुछेत्र में रास पकडे सुनाई थी

गाँधी को गौरों ने रेल से बाहर फैक दिया था
सड़क पर मर मर बेहाल किया था
लेकिन इन वाकों ने इन सभी को और मजबूत किया था

जीत की वरमाला पहर सभी का मार्ग दर्शन किया
अत्याचार मत सहो-सामना करो का मन्त्र जान मानस को दिया

यह सभी भी हमारी तरह हाड मांस के इंसान थे
कुछ अलग करने को व्याकूल होसलेवान थे

पुजती है दुनीया इन होसले वालों को
गम न करो, तुम में भी कया कमी है यारों

करो होसला, बढो आगे,
खडी है मंजिल सामने,फतह करो

2 comments:

david santos said...

I loved this post and this blog.
Have a nice week

Dr SK Mittal said...
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