आज हमारे दोस्त ने हमें दिखाई आंखे तो हमें याद आई तरह तरह की आंखे
आइये आपको भी दीख्लायें कुछ छोटी बड़ी - लाल पीली आंखे
जैसे.................
मीनाक्सी यानी मछली की आँखे
वीशालाक्सी यानी बड़ी बड़ी आंखे
सुवर की नज़र : बेशर्म ऑंखें
सूरदास नज़र : दिखता नहीं कया सूरदास क्यों चल रहा है बीना आंखे
समदर्शी नज़र : एक आंख वाला यानी के अबे काने
लाल नज़र : मत देख मुझे लाल आँखों से क्यों है तेरी गुस्साई आंखे
ड़बड़बाई नज़र : माँ की बड़ी याद आती है वोही पूंछती थी रोती ऑंखें
टिमटिमाती नज़र : टीम टीम टुक टुक क्या ढृंड रही हैं तेरी यह दुंडती आंखे
घुमती नज़र : मक्कारी से बाज आजा क्यों घूम रही है तेरी चालक आंखे
झुकी नज़र : कैसे उठ सकती है आपके सामने मेरी यह सम्मान देती आंखे
क्यों तू अब भी नहीं मान रहा है दे रही हैं चोरी का सबूत ऑंखें
उठी नज़र : क्या शान से शीवाजी खड़ा था बादशाह के दरबार में
डरा रही थी सबको उसकी मर्दानी ऑंखें
चश्मे से ढकी नज़र : तुम देख नहीं पावोगे मेरी आंखे
नकाब से झांकती नज़र : आज उनका दीदार का वादा था वोह आगयी हैं
और झांक रही है शायद उनकी आंखे
अरे ऑंखें ही ऑंखें
मुझे चाहीये आप जैसे मेहरबान की ऑंखें
मैं दूंगा आपको कद्रदान की ऑंखें
दुनीया दिखायेगी जलती हुई ऑंखें, कहर ढहती हुई ऑंखें.
उसे झेलेंगी हमारी दोस्ती की निगेबहाँ आंखे,
मुल्क की सरहद पर, नज़र रखती जवान की आंखे
जवानों की राह तकती,वीरह में तड़पती, भरी जवानियों की आंखे
Saturday, April 12, 2008
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1 comment:
आपका ब्लोग बहोत ही अच्छा है|
आँखों के बारे मैं पहली बार इतना जानने को मिला|
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