Sunday, April 13, 2008

इंसान या हैवान ...........

डरना है तो आदमी से डरो आदमी और इंसान में
कुछ तो फर्क करो.
आदमी को देखा है अक्सर शैतान होते
मगर इंसान कभीहैवान नहीं होता. कभी हैवान नहीं होता.

जीसमे दम हो उसे कहते है आ दम ई
आदम और हौवा की कहानी बहुत पुरानी है
इंसान हैवान क्यों बना यह भी सबकी जबानी है

मीत्र, इंसान और आदमी में थोडा ही फर्क होता है
जैसे सुबह पुजारी, रात को प्यार का भीखारी,
माँ के सामने बेटा , बेटे के सामने बाप होता है
वैसे ही आदमी हैवान और इंसान दोनो के रूप धरता है

भेड की खाल में भेडिया यानी
इंसान के लीबास में सैतान आता है

विनम्रता, दया, करुणा,प्रेम,शांती,भक्ती
इंसान की पहीचान है
हवस, मद, मोह, लोभ, इरषा, क्रोध,
इंसान को बनाते हैवान है

स्वंतुस्टी, परनींदा, प्रलोभ, परनारी, परधन, झूट, मक्कारी, कभी इंसान नहीं बनाते.
अपने अवगुण, पर्गुण, प्रभु भक्ती, सत्य, त्याग, दान, आदी इंसान को भगवान् से मीलाते

तुम खुद ही सोचो तुम कौन हो इंसान या हैवान

1 comment:

समयचक्र said...

विनम्रता, दया, करुणा,प्रेम,शांति,भक्ती इंसान की पहिचान है
हवस, मद, मोह, लोभ, ईर्षा, क्रोध, इंसान को बनाते हैवान है

बड़ी सुंदर पंक्तियाँ है बहुत बढ़िया धन्यवाद