Thursday, April 10, 2008

भरत मीलाप

होश खोये ,जुबा खुले तो इझ्हार बनता है .
शबनमी लब , थर्थाराए तो इकरार बनता है ,
रूह जब रूह से मीले तो प्यार बनता है ,
आप जैसी हस्तिए से हमारा संसार बनता बनता है .....

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होश आये नज़र मीले तो दीदार होता है
आँखों में हया, लबों पे नाम हो तो. करार बढ़ता है
रुहानी प्यार क्या बात है,
यह तो मुकद्दर वालों को मीलता है ।।
संसार में हमारे जेसे हजारों
जब अग्रज और अनुज मीलें
तो भरत मीलाप होता है ॥

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