Friday, April 18, 2008

डीग्री और नौकरी

डीग्री भी चाहीये नोकरी भी चाहीये

.................क्योंकी..................

डीग्री तुम्हारे माँ बाप की मेह्नत का प्रसाद है
तुम्हारी नौकरी भी उस ही का आशीर्वाद है

ज़माने के साथ चलने में ही समझदारी है
मत ठुकरा देना प्रसाद यह ही दयान्त दारी है

क्यों चाहीये तुम्हे वापीस वो कोलेज की केन्टीन
वोह तीखा समोसा चाय और सीगरत का टीन

यादें दील में बसी हों, कमर टकर लेने को कशी हो
माँ पीता का रुण उतारो, अपने बच्चों को भवसागर में उतारो

प्रभु भजन जरुर करो बाकी सब फजुल बातों को दील से बीसारो
जिन्दगी का उदेस्य कया है उसे पहीचानो,

मत डीगो धर्म मार्ग से, उदेश्य पूरा करने की ठानो ,
ऊपर वाले ने अवसर दीया अपने को धन्य मानो

.............इसके लीये .............
डीग्री भी चाहीये - नोकरी भी चाहीये

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