Monday, April 7, 2008

पाना खोना जीना

तनहा रहना सीख रहा हूँ
मरके जीना सीख रहा हूँ.
मांग के पाना सीख लीया है
और पाके खोना सीख रहा हूँ.

मरहम तो रखना ना आया ,
ज़ख्म खुरचना सीख रहा हूँ.
रोते रोते औरों परखुद पे
हँसना सीख रहा हूँ.

गम ने मुझ को बोहत है
खाया अब गम खाना सीख रहा हूँ.
इस पे हैरान होते हूँ,
करतब क्या क्या सीख रहा हूँ.
मांग के पाना सीख लीया है
पाके खोना सीख रहा हूँ.


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