Tuesday, April 15, 2008

दोस्ती की कसम



चाँद सीतारों में, रहना गुनाहगारों में, अल्लाह खैर करे
कर होसला, छोड़ दे गुनाह, हीम्मत ना हार, अल्लाह महर करे

फलक से चमक रही हैं कामयाबी की बीज्लियाँ रोशन तेरी दर करे
गम अँधेरे की काली रात है कामयाबी का आफताब, जल्द रोशनी करे

तू पुकार हमें - दोस्ती की कसम, मुसीबतें हम झेलें, कीला तू फतह करे
सीतारों का मेला अर्श से फर्श पर आजाये, ऐसा हम अहद करें

1 comment:

समयचक्र said...

बहुत सुंदर धन्यवाद