शब्दों की महिमा
ना होता महाभारत
अगर द्रौपदी चुप रही होती
सीता ना हरी जाती
अगर सुपरंखा बहरी हो गयी होती ।।
राम को बनवास नहीं होता
अगर दशरथ ने शब्द नहीं दीये होते
कृष्ण आज ग्वाले होते
अगर कंस को, देवों के शब्द नहीं सुने होते ॥
शब्दों की महीमा बड़ी अहम् है,
पार ना पा सका इस से कोई ब्रह्म है
मन्त्र शक्ती किसे नहीं मालुम,
यह तो शब्दों का जाल है
देवों को जो बुला सके,
यह ख़ास शब्दों का ही कमाल है ॥
यह शब्द ही हैं जो कराते दोस्ती.
गलत शब्दों बोलोगे तो टूट सकती है खोपडी ॥
गुरुजनों के शब्दों से स्वर्ग बनता है जीवन
प्रेमिका के मीठे शब्दों की मिठास में,
बीत जाता है सारा जीवन||
हर जन घर पहुँचते ही सुनना चाहता है
बच्चों की कीलाकारी को
या माता के मीठे शब्दों को,
या पत्नी प्यारी को ॥
आज की राजनीती में इसका विशेष महत्त्व है|
पांच साल की गद्दी शब्द का ही गूढ़ रहस्य है ||
शब्द बोलो, वादा करो, वादे पर जितो-
वादा तोड़ो
फिर पांच साल के बाद चुप्पी तोड़ो,
गुमराह करो या गद्दी छोडो ॥
सब शब्दों का मायाजाल है.
शब्दों ने, साथिओं, फिरसे किया कमाल है
प्रेम से बोलो जय माता की ,
यह तो उस ही का मायाजाल है...........
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