दिलजलों का यही हाल होता है
अन्दर जवालामुखी और मुह लाल होता है ॥
आह निकलती है जालिम की यादों में
दिल आसमा पे रुखसार होता है ॥
दूर बैठी वोह देखती मुस्कुराती है मेरे दिल ए हाल पे
मुझे तो शक है की अंदर से उनका भी येही हाल होता है ॥
Tuesday, May 20, 2008
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