Monday, May 19, 2008

.........जीवन का धेय्य ...............


कर्म किये जा फल की इच्छा मत कर रे इंसान
जैसे कर्म करेगा तू वैसे फल देगा भगवान

जीवन के उदेश्य प्रभु ने बोले की होते है चार
माता-पिता-गुरु,पृभुसेवा जीवनयापन, मानवसेवा यानी सदाचार

साथियों, सदाचार से जीवन का पालन करो
मत रुको चलते रहो प्रभु आदेशों का पालन करो

जिंदा भी मरे हो अगर दुखियों को सताओगे
मर कर भी अमर हो जाओगे जो दूसरो के काम आओगे

बेजान खाल की हाय से लोहा पिघला जाता है
दीन दुखियों की हाय से रावन भी मारा जाता है

द दान द दया द दमन का धर्म सन्देश सभी महापुरसों ने दिया
साथी, व्यर्थ है जीना तेरा अगर तुने इसे नहीं जिया

सहयोग ले सहयोग दे समाज का उत्थान कर
जीवन सफल होगा, मर के भी तू अमर होगा विश्वास कर


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