Wednesday, April 17, 2024

 विश्वास और चमत्कार


चिंता मत कर, चमत्कार होगा।  

 मोदी इस बार 400 पार होगा। 


कुछ ही दिनों में मथुरा काशी भोजशाला

 ही नही न जाने कितनो का उद्धार होगा।


 वरिष्ट जनों को आयुष्मान मिला

 गौवंश को अभयदान मिलेगा। 


तीन तलाक, धारा 370,35 भूत हुए GYAN (गरीब युवा,आदिवासी नारी)का ध्यान होगा।


स्वर्ग समान काश्मीर के टुकड़े एक होंगे

भारतमाता के भाल पर भी सूर्यभिषेक होगा


मोदी रुकेगा नहीं

विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था पाई

अब तीसरी का अनुसंधान होगा।


सोने की चिड़िया कभी कहलाता

भारत मोदी राज में हीरे की खान बनेगा


हम रहें न रहें, कर विश्वास मोदी पर

चमत्कार होगा, चमत्कार होगा।


2047 में भारत विशाल, विश्वगुरु 

शिक्षा, उद्योग, आध्यात्म का केंद्र बनेगा।

डा श्रीकृष्ण मित्तल 


Thursday, February 15, 2024

नगाड़ा बजाओ देश उठाओ


 बजा नगाड़ा  रे पगले, 

हिन्दूस्तानी सोया है ।

बता उसे विदेशी षड्यंत्र

 जिसका छाया खतरा है।। 


देश का इतिहास राजद्रोहियो से भरा

विभीषण जयचन्द जैसी मिसालों से सना।।


आओ जांचें कुछ पूर्व की घटनाओं को

देश की शर्मनाक गुलामी की सच्चाई को।।


मोहम्मद गजनवी को 17बार भगाया था।

18वींबार ऐक अपने ने सोमनाथ दिखाया था।।


पृथ्वीराज के आड़े जयचन्द ही आया था।

जिसके कारण गुलामी का बादल छाया था।।


मुगलों का इतिहास इन कायोरों से हरा भरा।

नहीं तो किस में शक्ति थी जी देता हमे हरा।।


वीर शिवाजी की शमशीरें,जयसिंह ने ही रोकी थीं ।

पृथ्वीराज की पीठ में बरछी,जयचंदों नें भोंकी थी ।।


हल्दीघाटी में बहा लहू,शर्मिंदा करता पानी को ।

राणा प्रताप सिर काट काट,करता था भेंट भवानी को।।


राणा रण में उन्मत्त हुआ,अकबर की ओर चला चढ़ के

तब मान सिंह आया बढ़ के के प्राण बचाने को ।।


इक राजपूत के कारण ही  तब वंश मुगलिया जिंदा था

इक हिन्दू की गद्दारी से  चित्तौड़ हुआ शर्मिंदा था ।।


जब रणभेरी थी दक्खिन में  और मृत्यु फिरे मतवाली सी

और वीर शिवा की तलवारें  भरती थीं खप्पर काली सी।।


किस म्लेच्छ में रहा जोर  जो छत्रपती को झुका पाया

ये जयसिंह का ही रहा द्रोह  जो वीर शिवा को पकड़ लाया।।


गैरों को हम क्योंकर कोसें,  अपने ही विष बोते हैं।

कुत्तों की गद्दारी से,  मृगराज पराजित होते हैं


बापू जी के मौन से हमने भगत सिंह को खोया है।।


आज पुन: देश काले बादलों से भरा है।

गजवा ए हिन्द का सामने खड़ा खतरा है।।


370, सी ऐ ऐ का बे दिमागी विरोध हो रहा

जिसका कोई अर्थ नहीं उसमें देश जल रहा।।


इनका विरोध हिन्दू विरोधी सत्ता लोलूप कर रहे।।

देश के पुन: विभाजन के सपने यह संजो रहे।।


हमे क्या पड़ी? अकेला मोदी लड़ रहा

अगर यह ढीला पड़ा तो देश तो गिर पड़ा।।


आज जरूरत उस नगाड़े की जो देश को उठा सके।

देश की अस्मिता, समृद्धि, को गजवा ए हिन्द से बचा सके।।

 

बजा नगाड़ा  रे पगले, हिन्दूस्तानी सोया है ।

बता उसे विदेशी षड्यंत्र जिसका खतरा है।।

Monday, February 12, 2024

लक्ष्य प्राप्ति

 लक्ष्य प्राप्ति


ना मै गिरा और 

ना मेरी उम्मीदो के मीनार गिरे 

पर कुछ लोग 

मुझे गिराने मे कई बार गिरे


कुछ ललचाने में

कुछ डराने में


कुछ भटकाने में

कुछ ऊपर पहुंचाने में

लोग रहे छिटकाने में

पर

मेरी नजर रही निशाने पे

मैं रुका नहीं

मैं झिझका नही

मेरा ध्यान भटका नही


वोह गौण हो गए

नजरों से ओझल रहे


मैं लक्ष्य पर पहुंच गया

कारवां गुजर गया

वोह गुबार देखते रहे।

Monday, February 5, 2024

जीवन का सार


जीवन का सार

मेरे तो जीवन का यही सार है। 

टकराया तुफानो से               

पहाड़ किये पार हैं।।                               


डरा नही शैतानो से,               

हारा नही मुसीबतों से,   

सीख ली नाकामयाबियों से,        

तकदीर लिखी अपने कर्मो से,

खुद, खुदा और खुदाई पर भरोसा,               

मित्रों से सर्वदा पाया प्यार है।।


कभी लगा शिखर आ गया

कभी निराशा के समुंदर में डूब गया

कभी अर्श पर

कभी फर्श पर

कभी जिंदगी की खुशी मनाते हुए

कभी पाया मौत के मुख में समाते हुए

कभी सफलता के जोश में

कभी असफल टूटा, गिरा 


लेकिन आत्म शक्ति और प्रभु पर भरोसा

हर दुख, गम को उड़ाता चला

जिंदगी को जीता, 

गमों में भी मुस्कुराता चला गया।

आज मुकाम यानी के एक सुखद पड़ाव


नही रुकूंगा 

नही डरूंगा

नही घबराऊंगा

नही इतराऊंगा

हर सफलता प्रभु अर्पण

हर हार को 

एक सबक की तरह अपनाऊंगा

मेरे तो जीवन का यही सार है। 

Saturday, January 27, 2024

बिहार का परिवर्तन 2024

 दे दी पटकनी लालू तेजस्वी, राहुल को 

तुने बिना खडग बिना ढाल। 

 पटना के रन बांकुरे तुमने कर दिया कमाल।। 

 कल तक नितीश- मोदी झेलते थे हमले बार बार। 

 राज में ना बिजली, ना रक्षा, जनता में हाहाकार ।। 


जयप्रकाश के पठे बिहार में जन्मे दो सितारे। 

 नितीश इस धरती के तारे।। 


 सामने थी बेकारी, अन्धकार, और सूखा बाढ़ गरीबी लाचारी । 

 साथ थी हिम्मत, हौसला, संगठन शक्ति और दयानतदारी ।। 


  पहीले अंधकार विरासत में मिला था । 

 सामने समश्याओं का लम्बा सिलसिला था।। 

 लड़ते लड़ते निकल गये सरदारों के सरदार । 

 हिम्मत ना हार के आगयी परिक्षा जनता के दरबार ।।


 परीक्षक केद्र सरकार के 2010 

फिर 2015 का सुशासन राज । 

 2024 में पुन: जनता के दरबार में आवाज़।। 


 कहीं राहुल कहीं लल्लू ।। 

 कुरुक्षेत्र सज चूका।

बिहार चुनाव धधक चूका।। 


 फिर इंडी महागठबंधन बन गया।


 ऐनडीए के सामने इंडी रावण सेना सा डट गया।। 

 ओबेस्सी जैसे देश तोड़क भी आ गए।

 कितने ही बिहार के स्वंभू मालिक बन गए।। 


 हमले होंगे, तीर चलेगै आरोप लगेगै। 

 अपने पराये हुए, दिल में खंजर से लगेगै।।

 जनता पर विश्वास ,कर्म पर भरोसा। 

 साथ कमल सा कोमल और तीर कठोर सा।। 

 साथ में विजय, सम्राट और मांझी के हम होंगे।। 

 पासवान ऊपर चले गए चिराग साथ आयेंगे।। 


 भिड़ गये बोल हर हर महादेव अल्लाह हो अकबर ।। 


 सामने तेजस्वी, लालू राउल, सोनिया। 

 ना जाने कितने एक से एक बढ़ कर। 


 काम जीतेगा, विश्वाश बढ़ जायेगा । 

 मोदी जी का जादू चल गया।

 डबल इंजन, डबल युवराज पर चढ़ गया। 


 सुशासन बाबू का तीर निशाने पर लग गया।।

 भाजपा का कमल, तीर कमान के संग 

पूरे बिहार में खिल गया।। 


 आओ करें सम्मान इस जीत का। 

 जो करेगी विकास 

बिहार का, बिहारी का।। 


 रन बाकुरो जीत को संभालना साथ निभाना।

 कमल खिला रहे, तीर पैना रहे । 

 जनता की आस को निभाना।। 


 प्रस्तुतकर्ता डा श्रीकृष्ण मित्तल


Sunday, January 14, 2024

सड़कें, खेतों से लम्बी हो गई ।

ड़कें,

खेतों से लम्बी हो गई ।

जिन्हें लौटना था साँझ ढले
वो बहुत दूर निकल चुके।।

दिन में घर से आती रोटी छाछ
सपना बन चुके।।

कितने ही जिन बैलों को
लोटना था, वो कट चुके।।

ट्रेक्टर अब आम हो गए
सड़कों पर दिख रहे।

किसान मजदूर बन गए,
खेत फार्म बन चुके।।

सड़क
अब दिलों में भी बन गई
संबंध करवट बदल रहे।।

परिवार टूट रहे
नित्य प्रति तलाक हो रहे
रोज पाँच मील
पगडंडी पर चलने वाले
आज ट्रेक्टर मे डीजल की
इंतजार मे

क्योंकि सड़क बन गई

डा श्रीकृष्ण मित्तल

Sunday, January 7, 2024

यारों दीपावली मनाओ

 रंगोली सजाओ यारों,मेरा यार आया है

बड़ा मनचला, रंगीला दिलदार आया है


यादों में उसके, सपने संजोए

न जाने क्यों मन घबराया है

दिल तो प्रियतम से मिलने को आतुर

मचलती नदी सा लहरता पाया है।


न जाने कितने अरमान

संजोए थे, इन आंखों में

कितनी ख्वाइश कितने सपने

छिपे हैं उसके लबों में

उसकी चितवन में झांकने 

का आज मौका पाया है।


फूल लगते थे शोला उसकी यादों में

दीपावली मनाओ, यारों, मेरा राम आया है

डा श्रीकृष्ण मित्तल 

Thursday, December 14, 2023

आज का सत्य

 आंसू बता देते हैं, प्यार कितना है।

बेरुखी बता देती है हमदम कैसा है? 


घमंड बता देता है कितना गरीब है? 

संस्कार गुरु का नाम बता देते  हैं। 


बोली बता देती है इंसान की औकात, 

बहस बता देती इंसान की सोच। 


ठोकर खोल देती हैं आंखे, कितनी ही बार

नजरें बता देती है इंसानी सीरत बार बार


स्पर्श की गर्मी नाप लेती अपनापन 

राजा और रंक सभी को वक्त बड़ा बलवान 


वक्त तो बदलता है हर इंसान का 


कायनात में सब कुछ मुक्कदर 

बदल जाती इंसानी आंखे देख दौलत, ताकत और मजबूरी में यानी मिनटों में 

बना देती उसी इंसान को शेरू से शेरा और  शेरखान।

  

*समाज तो एक फुलवाड़ी होता है जिसमे भांति भांति के पुष्प होते हैं। कुछ मनोहर, कुछ रोचक, कुछ पाचक, कुछ दवा या जहर भी होते हैं। 

हमे दो पैर वाला सामाजिक प्राणी कहा माना जाता है और हम में भी कुछ मनोहर, कुछ रोचक, कुछ पाचक, कुछ दवा या जहर भी होते हैं।

Sunday, November 26, 2023

स्मृति

स्मृति 

हमने ना जाने कितनी
सालगिरह साथ मनाई
हर वर्ष लक्ष्मी रूप में,
तुम लक्ष्मी साथ आई।
प्रिय,
1972 का वोह दिन रह रह उभरता है
सोच सोच दिल जोर जोर धड़कता है

घोड़ी पर चढ़ मैं तुम्हे मनाने आया था।
लंबा चौड़ा लश्कर भी साथ लाया था।

तुम सहमी सी,
हिरणी की आंखो सी निहार रही थी।
दो दिलों में तो प्रेम कली खिल रही थी।

प्रति वर्ष यह तिथि खास होती थी।
मधुरतम मधु रात्रि की समृति
हर्षित मोहित करती थी।

प्रथम वर्ष समाप्ति पूर्व
ईश्वर की सौगात पाई थी।

पुत्र रत्न की किलकारी
हर किसी को हरसाई थी।

जिंदगी को विराम कहां
हमे तुम्हे था विश्राम कहां?

संघर्ष में बनी थी तुम संबल मेरा।
मेरी हार को भी जीत माना
मुझे बांधा विजय सेहरा।

क्षणिक खुशी के पलों को भी
तुम्हारा संबल मिला
कन्या और दित्य पुत्र प्राप्ति से
परिवार पूर्ण हो चला।

हम चलते चलते ना जाने
कहां से कहां पहुंच गए।

मैसूर आ कर थमना था तो जम गए।
विश्वास नहीं होता की

कैसे यह वर्ष निकल गए।

आज फिर वोह ही दिन पाया है।
विवाह की स्मृति का अवसर आया है।

तुम बिन इस दिन का कोई अर्थ कैसे।
तुम नहीं तो विवाह  वर्षगांठ शूल जैसे।

आज तुम्हे याद कर
तुम्हारे चित्र को
अश्रुपुष्प अर्पण करता हूं
मन पटल पर छाई
तुम्हे नमन करता हूं।

काश आज तुम होती
इस दिन बड़ी रौनक,
देवी दर्शन, दावतें होती

सभी मित्र, बंधु बांधव,
नाती पौते बलैया लेते।

आज के दिन को
पूर्व जैसा जी लेते।

बंद कमरे में, अकेला
तुम्हारी यादों में खोया हूं।

आसमान को निहारता
तारों में तुम्हे खोजता हूं।

तुम्हारी तस्वीरों में मन विचर रहा
साथ बिताए हर पल स्मरण कर रहा

भरपूर गृहस्ती संसार है
लेकिन प्रिय तुम बिना बेकार है।
🌹 🌹🌹 🌹

डा श्रीकृष्ण मित्तल

Wednesday, November 8, 2023

भाजपा का एक कार्यकर्ता








हां,मै हूं भाजपा का एक कार्यकर्ता

कमल को मेरी जरूरत होती है, मै 1--2 वर्ष मे सिर्फ चंद दिनों  के लिए ही दिखता हूं,
मुझे नही प्रतिक्षा होती किसी निमंत्रण, आवाहन की, मै स्वयं भीड़ मे से निकल कर आ जाता हूं, और मेरा काम समाप्त हो जाने के बाद मे फिर से भीड़ मे खो जाता हूं,
कमल खिलता है तो मै प्रसन्न हो उठता हूं और कमल मुरझाता है तो मै दुखी हो जाता हूं,
मुझे नही पता कि कौन प्रत्याशी है मै सिर्फ कमल को खिलता हुआ देखना चाहता हूं, मुझे खुशी होती है कि मेरा देश सुरक्षित हाथो मे होता है,
मुझे बूथ पर ना खाना चाहिए ना चाय चाहिए, मै भूखे रहकर भी निस्वार्थ भाव से कमल खिलाने के लिए जी जान से जुटा रहता हूं,
जीतने वाले प्रत्याशी को मै नही जानना चाहता, बस मै चाहता हूं कमल खिलता रहे और इसी लिए मै तन मन से जुटा रहता हूं,
हां मै हू भाजपा का एक कार्यकर्ता....
जीतने वाला जीत कर आगे चला जाता है,क्षेत्र, राज्य, देश सेवा पर
मै फिर इंतजार करता हूं आने वाले चुनावी साल का, फिर से नया प्रत्याशी आयेगा, मै फिर जुट जाता हूं ताकि कमल खिले,
शायद मैं विस्मृत कर दिया जाता हूं  पर मेरी निष्ठा मुझे फिर ले जाती है कमल की ओर,
मैने देखे है , कमाई करने वाले, फोटो खिचाने और अपनी शक्ल दिखाने वाले,वे कितना काम करते है ये भी मैंने देखा है,
पर मुझे मुझे अपने कमल की ताकत में बढ़ोतरी, उसके विशाल जनादेश में विश्वास, यानी सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास
मुझे स्मरण ही पंडित दिन दयाल उपाध्याय जी का एकात्म मानववाद, मुझे विश्वास है नरेंद्र भाई मोदी के संकल्प, अथक कार्य, दरिद्र नारायण की सर्व  और इसी लिए मित्रों, मै जुटा रहता हूं
हां मै हूं  का एक कार्यकर्ता
भारतीय जनता पार्टी
 डा श्रीकृष्ण मित्तल 
   🙏🙏🙏🙏🙏.

Saturday, November 4, 2023

करवाचौथ

 आज करवाचौथ पर 

तुम्हारी बहुत याद आ रही है।


तुम्हारी वर्षो वर्षो तक 

मेरे जीवन की कामना 


मेरे स्वास्थ्य हेतु सोचना

निर्जल रह कर व्रत रखना


फिर चंद्र दर्शन कर

मेरे हाथों से जल अन्न ग्रहण करना


अखंड सौभाग्यवती 

समृद्ध परिवार घर द्वार


जिस के कण कण में 

तुम चिर विद्यमान


पर मैं एक साधारण इंसान

नहीं भूल पाता तुम्हे भाग्यवान


आज फिर तुम बहुत याद आ रही हो।

Thursday, November 2, 2023

पत्रकार संदेश

 देख तेरे इंसान की हालत क्या होगयी भगवान 

पत्रकार सा  होता था, नही, कोई महान 


आज कलम का, कागज से, मै दंगा करने वाला हुँ

मीडिया की सच्चाई को, मै नंगा करने वाला हुँ


रामनाथ गोयनका चित्रा जैसे पत्रकारों ने इंदिरा जी को भी नही छोड़ा था 

जीप काण्ड हो या बोफर्स, चारे से भी मुह नही मोड़ा था 


धुल छठा दी थी इस ने, सेंसरशिप के महा पाप को 

नही बक्शते थे कलम के धनी, किसी के भी बाप को 


देश की आज़ादी में, कितने ही ऐसे वीर थे 

रात छापते, दिन में बांटते,ऐसे कितने ही,कलम वीर थे 


सत्य की मशाल, जिनके हाथ में होती थी 

उनसे तो तुरत न्याय की,जनजन को आस  होती थी 


पत्रकार सुन्दरी, नेताओं से विवाह रचने लगी 

बसी बसाई घर गृहस्ती पर, दुश्मन सी दिखने लगी 


आज यह गणतन्त्र का, चौथा स्तम्भ, टुकडो में बट  गया

सत्ता लोलुप नेताओं का, 

विदेशी आकाओं का  

देशी विज्ञापन का 

सत्ता के गलियारों का 

पैसे, दारु सुविधा नारी का   

...................यह तो चाटुकार बन गया

 

चरित्र हनन, ब्लेक मेलिंग, दलाली, धमकी

 ना जाने कब, इनका पर्याय बन गये 

विकास, इन्साफ, सर्वहारा के रक्षक,


 ना जाने कब, सत्ता के गलियारों में खो गये 

लोकतंत्र को खतरा, आज मीडिया रक्षक  हो गये ..


मीडिया जिसको लोकतंत्र का चौंथा खंभा होना था

खबरों की पावनता की, जिसको गंगा होना था


आज वही दिखता है,हमको वैश्या के किरदारों मे

बिकने को तैयार खड़ा है, गली चौक बाजारों मे


दाल मे काला होता है, तुम काली दाल दिखाते हो

सुरा सुंदरी उपहारों की, खुब मलाई खाते हो


गले मिले सलमान से आमिर, ये खबरों का स्तर है

और दिखाते हिरोइन का, कितने फिट का बिस्तर है


म्यॉमार मे, सेना के साहस का, खंडन करते हो

और हमेशा दाउद का, तुम महिमा मंडन करते हो


हिन्दु कोई मर जाए तो घर का मसला कहते हो

मुसलमान की मौत को, मानवता पे हमला कहते हो


लोकतंत्र की संप्रभुता पर, तुमने मारा चांटा है

सबसे ज्यादा तुमने, हिन्दु मुसलमान को बॉंटा है


साठ साल की लूट पे, भारी एक सुट दिखलाते हो

ओवैशी को, भारत का तुम, रॉबिन हुड दिखलाते हो


दिल्ली मे जब पापी वहशी. चीरहरण मे लगे रहे

तुम ऐश्वर्या की बेटी के. नामकरण मे लगे रहे


अब ये दुनिया समझ चुकी है,  खेल ये बेहद गंदा है

मीडिया हाउस और नही, कुछ ब्लैकमेलिंग का धंधा है


हे पत्रकार बन्धुओं 

जागो,  जागो,  जागो, जाग जाओ 

इतनी भी देर ना हो जाये की भुला दिए जाओ 


गुंगे की आवाज बनो, अंधे की लाठी हो जाओ

सत्य लिखो निष्पक्ष लिखो और फिर से जिंदा हो जाओ.

Sunday, October 29, 2023

आज का ख्याल

मुझे नहीं फुरसत दुश्मनी की।                            

मुझे कहां कमी है अपनो की।



मैं तो व्यस्त हूं अपनो,

मित्रों का प्यार संयोजनें में।   

 क्या रखा है दुखड़े रोने में।।                     


मुझे पसंद खुशबूदार बगीचे  

नीला आसमान, बहते दरिया

मैं क्यों सोचूं 

अदावती,शैतानों के बारे में। 


जिंदगी मिली है जीने के लिए

कुछ करने कुछ करवाने के लिए


समय की कद्र,सदुपयोग,

कामयाबी की और।

मेरी तजुरी खुलती है

 महज एक ही और।


जीवन के इस पड़ाव में 

जब मैं मुड़ के देखता हूं।


मुझे दिखता है तुम्हारा प्यार

फूलों सी खुशबू

इतर की महक

मां से मिली ठंडक

समाज, क्षेत्र, देश से मिले

तमगे, माला, सम्मान


मुझे नहीं फुरसत, 

भोकने वालों, 

पीठ पर खंजर घोपने वालों को 

जवाब देने की

क्योंकि मुझे अहसास है

एक दिन,उनका भी प्यार 

मिलने का मुझे विश्वास है 


*डा श्रीकृष्ण मित्तल*


Wednesday, September 20, 2023

हिंदी हिन्द की शान

 हिंदी हिन्द की शान।

 हिंदी में भरा सर्व ज्ञान।। 


हिंदी में देव का आवाहन। 

हिंदी ही ग्राम विचारों का वाहन।।


राष्ट्रसंघ में अटल - सुषमा जी ने बढ़ाया मान।

मोदी जी ने जी 20 में हिंदी  को दिया सम्मान।।


 देवनागरी में व्यक्त होती हिंदी। 

जनमानस की अभिव्यक्ति हिंदी।।


 भारत के सविंधान की भाषा हिंदी। 

आओ हम सभी मिल अपनाएं हिंदी।।


हिंदी भाषियों को हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई। 

आइए बोलने, लिखने, प्रकाशन में अधिक से अधिक राष्ट्रभाषा हिंदी का उपयोग करें।

Monday, September 18, 2023

प्रियत्मा से बिछोह

 प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

जीवन के हर मोड़ पर तुमने साथ दिया

 हर ख़ुशी दी, हर सुख दिया || 

गत ५० वर्षो के संग की याद आती है

विवाह की स्मृति सर्वदा मनमंदिर पे छा जाती है ||

 प्रथम पुत्र प्राप्ति की पूर्व संध्या में 

हमने बाबी देखी थी और बाबी आया था 

शीघ्र ही कन्या रत्न व् दित्य पुत्र भी पाया था || 


प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

गृहस्वामिनी, भाग्यवान सर्वदा प्रभु में आस्थावान थी 

व्रत, पूजा, उजमन, यज्ञ तीर्थ,दान में निष्ठावान थी 

मेरी प्रिया, अर्धांगनी, मेरी प्रेरणा, मेरी जान थी

नाम ही नहीं रूप और कर्म में लक्ष्मी समान थी || 

बाबा दादी पिता-माता जी के देहांत पर 

तुमने अहम् काम निभाया था 

मेरे सभी भाइयों को पुत्रवत अपनाया था

 अपनी ननद को सुख में विदा किया 

दौरानियों ने बहिन रूप में पाया था|| 


प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

नहीं भूलता कन्या विदा करना और बहूएँ लाना दिल्ली, बेंगलोर और वृन्दावन का विवाह ठिकाना| 

सुन्दर जामाता, बहूएं आई घर में

 ख़ुशहाली और प्रसन्नता का खजाना || 

सुन्दर दोहती पौत्रों का प्रशाद मिला

 घर खुशियों से भर गया तुम्हारा मन खिला ||


 प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

मै थका हारा आता, 

तुमसे उर्जा उत्साह पाता था|| 

मेरे हर निर्णय मेंतुम्हारा योगदान होता था

 जीवन के झंझावात में तुम साथ देती थी 

संगनी भार्या मित्रसमान चर्चा करती, 

राय देती थी || 


प्रिये तुम बहुत याद आती हो

जब श्रंगार कर तुम सामने आती थी

मेरी तो अपलक आँखें तुम पर टिक जाती थी याद आता तुम्हारा रूठना और मेरा मनाना तुम्हारा मुझे झुकाना और फिर मान जाना ||


 प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

अजब हमारी गृहस्ती थी 

कितनो को भाती, कितनो को खलती थी || 

हम मोर मोरनी की तरह चलते थे 

घर बेघर, ऊपर नीचे, देश परदेश, 

हर हाल- अभाव में भी में प्रसन्न रहते थे

 हमने मधु यामनी के मधुर पल भी संजोये थे


 प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

गावं हो या नगर,देश या विदेश पल पल

 हम जीए थे|| 

कलकता,मुंबई, काशी, गया, आगरा का ताज या वृन्दावन दार्जलिंग,शिमला,मसूरी काश्मीर नैनीताल उंटी, कोडई,चेन्नई,

मैसूरकी चामुंडी माँ केदार,नीलकंठ,बद्रीविशाल मदुरई मीनाक्षी या वैशनवी माँ, 

अग्रोहा, रामेश्वरम,तिरुपति, राधावल्लभजी बयावला,

बिहारीजी आदि दर्शन नेपाल, मलेशिया,सिंगापुर, या श्रीलंका की मधुर यादें

 घुमड़ घुमड़ कर आती छाई यादें

 मन पर हर पल आदेशों का पालन करती मेरी दिलबर | 

प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

बहूत सी कामनाएं बाकी हैं 

तुम्हारीकमी रहेगी परन्तु थाती हैं 

आज परिवार में सम्पन्नता खुशहाली है

 तुम्हारी कमी कैसे पूर्ण होगी 

पूछता यह सवाली है|| 


प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

सोच सोच थर्राता हूँ ।

अब यह समय कैसे निकलेगा 

पुत्र पुत्रवधू पौत्र, बेटी दामाद भाई बहुओं का बंधू बांधवो संगी साथियों का साथ तो मिलेगा दिल को बहुत समझाता हूँ || 


प्रिये तुम बहुत याद आती हो 

हर पल हर क्षण हर कार्यमें तुम याद आओगी इस याद में ही कभी यह जान निकल जाएगी 


प्रिये, इन्तजार करना 

ऊपर जल्दी ही साथ आऊंगा

सात जन्मों का वादा था

तुम्हे भी निभाना होगा 

मै भी शीघ्र निभाऊंगा. ........................

.डा श्रीकृष्ण मित्तल

Thursday, September 14, 2023

वरिष्ट जनों की दास्तान

मैं नशे में रहता हूं
तुम्हारा क्या हाल है?
 यह दुनिया बेगानी, 
जी का जंजाल है|

कुछ सुनो कुछ सुनाओ ,
कुछ याद रखो, 
कुछ भूल जाओ
रहो नशे में प्यार के यारों
भूलो दुख, दर्द, नफरत प्यारों|

इस ग्रुप में सभी पके आम हैं
रस भरे, तजुर्बे पर खरे, 
चिंता, सलाह, सोच इनका काम है
जब तक रहें इनका जलवा
फिर तो दीवार पर लटकना
हमारा अंजाम है ||

Wednesday, September 13, 2023

हिंदी की महिमा

हिंदी हिन्द की शान।

 हिंदी में भरा सर्व ज्ञान।। 


हिंदी में देव का आवाहन। 

हिंदी ही ग्राम विचारों का वाहन।।


राष्ट्रसंघ में अटल - सुषमा जी ने बढ़ाया मान।

मोदी जी ने जी 20 में हिंदी  को दिया सम्मान।।


 देवनागरी में व्यक्त होती हिंदी। 

जनमानस की अभिव्यक्ति हिंदी।।


 भारत के सविंधान की भाषा हिंदी। 

आओ हम सभी मिल अपनाएं हिंदी।।

Monday, August 14, 2023

जिम्मेदार कोन

 एक था पंडित नेहरू 

और एक था जिन्ना             

सत्ता की लोलुपता में 

भूल गए जनता का सीना।। 


लाखों के हत्यारे ये दो 

आगजनी, बलात्कार के

 संयोजक ये दो।

क्या इतिहास में माफी पाएंगे ये दो?   

नही रुके, ये देश के गद्दार। 

धारा370, 

कश्मीर के टुकड़ों के 

ये ही जिम्मेदार ।।      

हम कैसे भूल पाएंगे 

श्यामाप्रसाद मुखर्जी का बलिदान 

उनका नारा 

एक देश, एक परचम

एक निशान एक सविधान


एक ' नरेंदर' का होश जोश था

लाल चौक पर तिरंगा फैराना 

एक मारोगे हम 10 मारेंगे

उसका अहद, जोश था।

देश को ' अमिट' विश्वास था

' हर्ष ' और 'राज' का साथ था


धारा 370 को कर डाला खामोश था।

फारुक, मुफ्ती, 

देश के दुश्मन देखते रह गए

कश्मीर में तिरंगे फैरते  गए।

आज कश्मीर गुलजार है

पड़ोसी टुकड़ा मिलने को बेकरार है।

भारत माता की जय

Tuesday, June 20, 2023

मेरा हिंदुस्तान कहां है

 मेरा हिंदुस्तान कहां है 

लाल बाल पाल कुर्बान हो गए

भगत,आजाद, चिरनिद्रा में सो गए

पूछते आज 

बोलो नेहरू, बोलो गांधी

मेरा हिन्दुस्तान कहां है?


जिस पर था सर्वस्व लुटाया,

मेरा वो अरमान कहां है?

बोलो नेहरू, बोलो गांधी,

मेरा हिन्दुस्तान कहां है?


सैंतालीस में भारत को बांटा,

'उनको' पाकिस्तान दे दिया;

"दो गालों पे थप्पड़ खा लो"

मुझे फालतू ज्ञान  दे दिया;


मुझे बताओ यही ज्ञान तुम,

उनको' भी तो दे सकते थे;

नहीं बंटेगी भारत माता,

ये निर्णय तुम ले सकते थे;


मगर देश को छिन्न-भिन्न कर,

दुनिया भर की सीख दे गए,

हिन्दू को दो-फाड़ कर दिया,

आरक्षण की भीख दे गए!


एक अरब हिन्दू लावारिस,

कहो हमारा मान कहां है?

बोलो नेहरू, बोलो गांधी,

मेरा हिन्दुस्तान कहां है?*


'सेकुलर' राष्ट्र बनाना था तो,

बिन बंटवारे भी संभव था;

छद्म-धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र,

बिन भारत हारे भी संभव था;


'उन्हें' पालना ही था तो,

क्यों टुकड़े भारत के कर डाले?

मुझे बताओ किस की ख़ातिर,

डाके अपने ही घर डाले?


एक चीन क्या कम दुश्मन था,

बाजू पाकिस्तान बिठाया;_

कदम-कदम पर इसी पाक से,

हम सब ने फिर धोखा खाया;


जितनी सस्ती जान हमारी,

उतनी सस्ती जान कहां है?

बोलो इंदिरा, बोलो राजीव,

मेरा हिन्दुस्तान कहां है?


मुस्लिम की ज़िद पूरी कर दी,

हिन्दू का अधिकार भुलाया;

भूले सावरकर की पीड़ा,

और बोस का प्यार भुलाया;


धूल-धूसरित, जग में लज्जित,

भारत का सम्मान कर दिया;

दो लोगों की पदलोलुपता,पे 

भारत बलिदान कर दिया !


उधम सिंह को पागल बोला,

मरने दिया भगत को तुमने;

चापलूस के हैं पौ-बारह,

दिखला दिया जगत को तुमने;


जो जीते उनको हरवाया,

'वल्लभ' का सम्मान कहाँ है?

बोलो राहुल, बोलो सोनिया


टूटा -फूटा जैसा भी था,

सैंतालिस में भारत पाया;

पर मुझको भी हक़ मिल जाये,

*ये तुमको हरगिज़ ना भाया;*


मुल्लों की तनख्वाह बांध दी,

मंदिर लूटे तुमने जी भर;

सेकुलर की परिभाषा गढ़ दी,

उन्हें सब्सिडी, हिन्दू पे कर !


ना पुराण ना वेद पढ़ाये,

जाने क्या बकवास पढ़ाया;

शिक्षा में घोटाला कर के,

अधकचरा इतिहास पढ़ाया;


पूछे गौरव इस भारत में,

हिन्दू की पहचान कहां है?

बोलो राहुल, बोलो सोनिया,

मेरा हिन्दुस्तान कहां है?

Sunday, May 14, 2023

माँ की यादें

 माँ की यादें ............................


हर माँ की येही है कहानी

आँचल में दूध और आंखों में पानी ||

बहुत खूब तुम्हे आपनी माँ का त्याग 

आज भी याद है


मुझको याद की अक्सर ऐसा होता था||

वह गर्मी की राते और बत्ती गुल


एक पंखा बिना रुके 

उसके हाथो में चलता था


वो जागती सारी रात, 

मैं उसकी नींदे सोता था ||

गर्मी की राते, 

गुल बत्ती, 

बिना रूके उसके हाथ में झलता पंखा,

.....................................मेरा भाग्य   है

उसका जागना,

मेरा  चैन से सोना, 

उसकी नींद नहीं, 

हर माँ की बीती रात है


मुझे आज भी याद है ||


मुझे याद है माँ वोह 

बड़ा मुश्किल जमाना, 


पिताजी का देर रात को

 थका हुआ घर आना. 


तुझे सारे दिन का दुखडा सुनाना 

और तेरा उन्हें ढाढस बंधाना.......................


एक स्वेटर पुराना, 

अभी भी मुझे बहुत प्यारा ............


हजारो धुलाई चुरा ना सकी,

उससे  तेरे  हाथो की खुशबु


वो स्वेटर बुनती ऐसे, 

ख्वाब बुनती हो जैसे 

दिन में पूरे मोहल्ले के स्वेटर बुनना..

जैसे फूलों का चुनना ,.....................

ख्वाबों का बुनना ..............................


और उसमे से मेरे इस ही 

 स्वेटर का  चुनना ||


यह मेरी जिन्दगी का 

सबसे प्यरा तोहफा है 


धुल चूका हजारों बार, 

फिर भी घना चौखा है ||


आज भी छुपके  मैं, 

बंद करके कमरा, 

अलमारी खोलता हूँ


वोह तेरा बुना स्वेटर, 

समेटे तेरे हाथों की खुशबू, 

उसे बार बार सूंघता हूँ ||


इसे आज भी पहनता हूँ तो

 " माँ"  तेरी याद आती है

बंद कमरे से मैं अकेला नहीं 

तेरी खुशबू भी साथ जाती है||

जब से तुझे देखा है माँ ,

 मुझे भगवान भी भूल गए


तुने मुझे जन्म दिया , 

आज के झंझावात में हम 

सभी शायद भूल गए

मै आज विश्व मातृदिवस पर 

गौ माँ, भारत माँ, 

धरती माँ को नमन करता हूँ |

व् समस्त मातृशक्ति को 

सादर स्मरण करता हूँ ||



Sunday, April 2, 2023

सेवा निवृत की व्यथा

 हर सेवा निवृत की जबानी है

हर घर की यही कहानी है।

 

रखो व्यस्त खुद को 

हर काम अर्पण प्रभु को।


कुछ लिखो

कुछ पढ़ो

कुछ सुनो

कुछ सुनाओ


कुछ यात्रा, कुछ विश्राम

कुछ आराधना, कुछ ध्यान

खुश रहो, पूर्ण करो, बाकी अरमान


सेवानिवृत्ति के बाद का एक दृश्य यह भी—

जब से सेवानिवृत्त हुआ हूँ, 

परिवार हो गया हूँ,

सारे परिवार की ज़रूरतों का, 

आधार हो गया हूँ।

सुनसान घर का चौकीदार, ब

च्चों के लिये घोड़ा,

बहुओं के लिये बैंक, 

रिश्तों को व्यवहार हो गया हूँ।

याद आने लगे सब रिश्तेदार, 

तन्हाई से बचने को,

व्यस्त रहने को, समाज का 

कर्णधार हो गया हूँ।

अपने ही बच्चे कहते कंजूस, 

धन पर कुंडली बताते,

खुले हाथ से खर्च किया, 

सबको स्वीकार हो गया हूँ।

Sunday, January 29, 2023

 


Wednesday, December 28, 2022

गुलदस्ता

 बेशक मेरा मन

अजनबियो का मेला होगा

पर एक गुलदस्ता है

हर भांति के फूल हैं इसमें

रंग बिरंगों का मेला है।

कुछ भगवान को

कुछ प्रिय इंसान को

कुछ बिदा होते

कुछ आगवानी करते

कुछ चिढ़ाते

कुछ मनाते

कुछ नूतन जुड़ते

कुछ रूसते बिदा होते

गुल तो खिलते 

झड़ते मुरझाते

यही तो इस ग्रुप की पहिचान

क्योंकि यहां तो हर दम

हंसी खुशी प्यार की बेला है

Thursday, December 22, 2022

यह दुनिया बेगानी

यह दुनिया बेगानी 

 बेरंगी बेमानी 

मतलबियों से भरी हुई 

बेवफाओं से सजी हुई 

बाप बड़ा ना भैया 

सबसे बड़ा रुपिया 

बनावटी बदन,

लीपे पुते दर्शन 

मुखोटों से ढके

मिश्री से भरे 

सार रहित वचन 

फिर भी चाहत हसरत 

से भरपूर टूटता यह मन 


 








 












क्या बेचा क्या पाया

गांव भूले शहर बसे, कीमत बड़ी चुकाई है। 

जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।

बिक गया है ईमान धरम, तब घर में शानो शौकत आई है। 

संतोष बेच खरीदी बैचेनी, देखो कितनी मंहगाई है।। 


बीघा बेच वर्ग फुटखरीदा, ये कैसी चतुराई है।  

संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से टूटी, नई पीढ़ी मुरझाई है।।  

रिश्तों में हुए स्वार्थी, हर आंख ललचाई है।  

कहां गुम हो गई मिठास, जीवन में कड़वाहट सी भर आई है।।    


रस्सी की बुनी खाट बेच दी, गद्दों ने जगह बनाई है। 

अचार, मुरब्बे हुए गायब,आलों में सजी दवाई है।।  

माटी की सोंधी महक बेच के, बनावटी खुशबू पाई है।  

मिट्टी का चुल्हा बिक गया, आज गैस पे खीर जलाई है।।  


पांच पैसे का लेमनचूस था,अब चाकलेट हमने पाई है।  

बिका रहम, करुणामय दिल, कुटिलता समर है।। 

सैलून में अब बाल कट रहे, बिका मोहल्ले का नाई है।

टीवी के सामने दिन गुजरता, बोल को तरसतीअम्मा के संग ताई है।।  


मलाई बरफ के गोले बिक गये, अब तो कोक की बोतल आई है।  


मिट्टी के कितने घड़े बिक गये, अब फ्रीज़ में ठंढक आई है ।। 

खपरैल बेच छत डाल दी, तपस ने नींद  उड़ाई है। 

बरकत के कई दीये बुझा कर, रौशनी बल्बों में आई है।।


गोबर से लिपे फर्श बेच दिये, चिकने फर्श में टांग तुड़ाई है।

देहरी से गौ माता बेची, अब कुत्ते संग रात बिताई है ।

गुड शक्कर भूल गए, मधुमेह, रक्तचाप ने, हर घर में जगह पाई है।।  


दादी नानी की बिकी कहानियां, दूरदर्शन ने जगह बनाई है। 

बहुत तनाव है जीवन में,गृहलक्ष्मी भी दो पैग लगाई है।

मतलबी हुए हैं रिश्ते बेचारे, बची नही उनमें कोई सच्चाई है।

उबटन बिक गया, क्रीम से मुख चमक रहे , दिल पे जमी गहरी काई है।  

गाँव बेच कर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई  है।।  

जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।। 

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹

Sunday, December 4, 2022

शादी

 शादी वोह लड्डू है 

जिसे खा के लोग मुस्कुराते हैं

जीवन का आनंद लेते 

परिवार बढ़ाते हैं।


बिना नमक के 

सब्जी बेस्वाद होती है

कभी कभी ग्रहस्त जीवन में भी

 तकरार होती है।


ए जी ओजी, सुनने को 

रात में गरमागरम रोटी खाने को

तबियत बेकरार होती है।।


हमने भी यह लड्डू 

खाए खिलाए हैं

जिनको नहीं मिले 

यकीनन वो पछताए हैं

Saturday, November 26, 2022

विवाह स्वर्ण जयंती


 "विवाह स्वर्ण जयंती" 

बिना तुम्हारे काटती 


हमने ना जाने कितनी सालगिरह साथ मनाई

हर वर्ष लक्ष्मी रूप में,तुम लक्ष्मी साथ आई।


प्रिय, 1972 का वोह दिन रह रह उभरता है

सोच सोच दिल जोर जोर धड़कता है 


घोड़ी पर चढ़ मैं तुम्हे मनाने आया था।

लंबा चौड़ा लश्कर भी साथ लाया था।


तुम सहमी सी, 

हिरणी की आंखो सी निहार रही थी।

दो दिलों में तो प्रेम कली खिल रही थी।


प्रति वर्ष यह तिथि खास होती थी।

मधुरतम मधु रात्रि की समृति 

हर्षित मोहित करती थी।


प्रथम वर्ष समाप्ति पूर्व 

ईश्वर की सौगात पाई थी।

पुत्र रत्न की किलकारी 

हर किसी को हरसाई थी।


जिंदगी को विराम कहां

हमे तुम्हे था विश्राम कहां?


संघर्ष में बनी थी तुम संबल मेरा।

मेरी हार को भी जीत माना 

मुझे बांधा विजय सेहरा।


क्षणिक खुशी के पलों को भी

 तुम्हारा संबल मिला

कन्या और दित्य पुत्र प्राप्ति से 

परिवार पूर्ण हो चला।


हम चलते चलते ना जाने

कहां से कहां पहुंच गए।


मैसूर आ कर थमना था तो जम गए।

विश्वास नहीं होता की

 कैसे ५० वर्ष निकल गए।


आज फिर वोह ही दिन पाया है।

विवाह की  स्वर्ण जयंती का अवसर आया है।

तुम बिन इस दिन का कोई अर्थ कैसे।

तुम नहीं तो विवाह सवर्ण वर्षगांठ शूल जैसे।


आज तुम्हे याद कर 

तुम्हारे चित्र को 

अश्रुपुष्प अर्पण करता हूं

मन पटल पर छाई

तुम्हे नमन करता हूं।


काश आज तुम होती

इस दिन बड़ी रौनक, 

देवी दर्शन, दावतें होती


सभी मित्र, बंधु बांधव, 

नाती पौते बलैया लेते।

आज के दिन को 

५० वर्ष पूर्व जैसा जी लेते।


बंद कमरे में, अकेला 

तुम्हारी यादों में खोया हूं।


आसमान को निहारता 

तारों में तुम्हे खोजता हूं।


तुम्हारी तस्वीरों में मन विचर रहा

साथ बिताए हर पल स्मरण कर रहा


भरपूर गृहस्ती संसार है

लेकिन प्रिय तुम बिना बेकार है।

🌹 🌹🌹 🌹

डा श्रीकृष्ण मित्तल

Wednesday, July 13, 2022

यादें प्रियतमा की

यादें एक साल बीता सावन पलट आया फिर भी मन रीता।। रहने को सदा इस दुनिया में आता नहीं कोई पर तुम जैसे गई, ऐसे भी जाता नहीं कोई।। डरता हूँ, कहीं सूख ना जाए, आंखों का समन्दर जानेमन, राख अपनी कभी बहाता नहीं कोई।। ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी तुम्हे लेजाने में मौत को सीने से लगाता नहीं दुश्मन भी कोई।। माना कि, हमारे उजाले, तुमसे रोशन होते थे फिर भी रात में हमने, दिया बुझाया, नहीं कभी।। जमाने से गिला था तुम्हें, या मुझ से शिकवा अब तो कुछ भी याद आता नही।। तुम्हारी तस्वीर मेरा अंबल निहारते रोज उसे, तुम्हे भुला पाता नही।।h

Wednesday, June 29, 2022

दिल की तड़प

खोजते हैं,दो पल ख़ुशी के, चाँद तारो की ख्वाहिश नहीं होती। जवानों का दिल रोता है, आँखों से बरसात नहीं होती।। दिन में सुनते हैं पापा के ताने, रात को दर्द भरे गाने दिल लगाने की उम्र में, लग जाते हैं बेचारे कमाने।। उगता सूरज दिखाता इन्हें ख्वाब और ढलता हुआ औकात कोई ना समझता, दर्द इनका, ना कोई जज्बात।। घर में रहे तो नकारा, बाहर रहे तो आवारा ना रोए तो पत्थर. रोए तो बेचारा । पूछते हैं इन की खुशी की वजह सब बिना दर्द जाने , उम्मीदें सबकी इनसे बिना पहीचाने|| मेरे बच्चे ने कुछ खाया, बस एक माँ ही कहती है हर सुबह जागते किस्मत को ढूंढते, तलाशते पर मित्रो वोह नही मिलती जाने कहां सो जाती है|| जिंदगी का फसाना कुछ कम हो तो मोहब्बत हो जाती है दिल देते जिसे, करते इंतजार जिसका, वह भी दिल तोड़ जाती है जिसको माँ से बढ़ प्यार करते हैं वह भी ठोकर मार जाती है || खिलौना टूटने पर रोया करते थे बचपन में कोई मनाएगा अब दिल के टुकड़े हो जाते कोई नही आयेगा || साथियों दिल का जख्म भरा नहीं कि एक और जख्म आता है लड़को कि जिंदगी में फिर बेरोजगारी का दौर आता है खाली जेबों में ,खुशी के लहमे, खनखन करते हैं घरवालों के ताने हीं नहीं , बाहर वाले भी धुनते हैं जिंदगी की ठोकरें खाकर सुकून की तलाश में रहते हैं || लड़को कि जिंदगी घुटन में गुजरती है बेबसी इन लड़कों की ऐसी , जैसे कब्र में लाश रहती है ।। मर्द हैं मर्दानगी की बेबसी.आँख भरती ,शर्माती पर नही बरसती .... नही बरसती

Thursday, June 2, 2022

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