सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के असुलों से
खुशबू आ नहीं सकती कागज के फूलों से
खुशबू आ नहीं सकती कागज के फूलों से
यह सच है की पैसा सब कुछ नहीं होता है
लेकीन आज के जमाने में शायद यह भी कुछ तो.... होता है
लेकीन आज के जमाने में शायद यह भी कुछ तो.... होता है
बोलने में मेरी बातें कड़वी लगी होंगी
यारों दिल से बताओ कितनी सटीक लगी होंगी
मैं तो खुद प्यार की राह का मुसाफिर हूँ
प्यार ही मेरा काबा है मंदिर और मंजिल है दर्शनों का मुहाजिर हूँ
इन रिश्तों की खातिर मैंने ज़माने को झेला है
हर रिश्ते को माना और जोरों से खेला है
लोगों की दया भरी नज़रे झेलना कितना कठिन होता है
उनकी दयानत, हिकारत की नज़रें - पैसे से प्यार, भी देखा है
आशिकों की मुहब्बत की कसम भी अजमाई है
मैंने भुगती है रुखसार की बेवफाई, दिल पर चोट खाई है
इसलिए मैंने तो आयना आपके सामने रखा था
मेरा कोई मतलब उल्टा नहीं मेरा दिल बिलकुल साफ था
माँ बाप बहिन भाई- चाचा मामा - बाबा ताई साथ नहीं जाते हैं
लेकीन माशूक की बाँहों में मुक्कदर वाले मौत पाते हैं
इस से भी ज्यादा नशीब वाले वोह आशिक और मासुक होते हैं
जो एक साथ जीते हैं और मोत की गौद में एक साथ सोते है ..
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