बचपन में माँ जीवन डगर पर चलना सिखा कर मुश्किलें आसान करती है
बालक के दर्द को झेलती संभालती कदम फूंक फूंक के रखती है
उस ही सीख को जीवन में उतार इंसान आगे बढ़ता है
जब भी मुश्किल सामने आये हाय माँ - हे माँ -हुई माँ करता है
इतहास गवाह है अलग अलग लड़ राजे हारते गए
कुछ आम्भी कुछ जैचंद बन अपनों को संहारते गए
धर्म-जाति- गाँव-गौत्र छुआछुत के आडम्बर में देश गुलाम होगया
सोने की चिडिया कैद हो गयी देश इसाई - मुस्लमा हो गया
एकता की शक्ति को ललकारा दीया नारा ' एक से सवा लाख लडाऊ' गुरु गोविन्द
एकता अहिंसा से सत्याग्रह से देश आजाद कराया साबरमती के संत ने
आजादी का जसं मनाते सरदार ने देश एक कर दिया
उत्तर दखिन पूरब पश्चिम का भेद मिटा उन्नति का पैगाम
कहा आपने संगठन में शक्ति है
इसलिए मैं कहता हूँ
साथी हाथ बढ़ाना देख अकेला थक जाएगा मिल कर बौझ उठाना
Tuesday, May 13, 2008
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