हाले दिल छुपाने को ग़ालिब बहाना करते हो
दर्द, मयखाने, शबाब और शराब पर इल्जाम धरते हो
अगर इस अंगूर की बेटी कोई असर होता
क्या नाचती नहीं बोतल या मयखाना नाचता होता
यह तो साकी की मदहोश आंखों का करिश्मा है
.................जिस ने तुझे पिलाई होगी
बोतलें तो हर जगह मिलती हैं उसे देख कर
.................तेरी नियत पीने को तरस गयी होगी
इस मय को आब ए हयात यूँ ही नहीं कहते है यारां
इसके अंदर जाने के बाद सारी दुनिया लगे ख़राब
..................उतरने पर तू ख़राब लगे यारां
Wednesday, May 21, 2008
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