शब ए बजम ए जलाल जो देखा तेरा,
आँखे झुकी थी मुह लाल था तेरा,
आशिकों का येही हाल होता देखा होगा ,
ज़माने ने हसीनो के पैर दबाते, जूते खाते देखा होगा
और भी बहुत से गम है इस ज़माने में
भूल जा आशिकी-गम भुला जा मयखाने में
Wednesday, May 28, 2008
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