Monday, May 26, 2008

वल्लाह कया बात है


जब भी तुम्हे देखता हूँ
उपर वाले की कुदरत नजर आती है

तुझे आती होगी बदबू
हमें तो तेरे में गुलाबों की मुलामियत और खुशबू नज़र आती ह

तू मौन है कायनात सून है
छत के उपर मून है

लोहे की खनक चाहे चांदी की चमक
तेरे हुस्न के सामने सब गौण है

कैसी लगी हां.....हां.......हां.....

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