भगवान सुख से सो रहा, असुर धरा सब भेज ।
देवों की रक्षा हुई, फंसा मनुज निस्तेज ॥
हुआ मनुज निस्तेज असुरों से लड़ लड़ के
सिर्फ तेरा सहारा बुला रहा भगवन रो रो के
मधु कैटभ- रावन कुम्भकर्ण- से यह संसार भर
गया तेरी सल्तनत हिल चुकी मानव दानव बन चूका
एक ब्रह्मास्त्र ने पांडववंश को रोक दीया
ऐसे हजारो परमाणु बमों से आज भर गयी है यह धरा
तू ने जो राम सेतु बनाया था वोह आज खतरे में है
रामसेतु नहीं- भगवन तेरा नाम धरती पर खतरे में है
कवि .......... तुझे कह रहा है छोड़ शेषनाग की सेज
उठजा प्रभु-बुला असुरों को - सेना रामदुतों की भेज
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment