हमारी वफ़ा तुम्हे दगा लगती है
हम तुम्हारे इशारे पर चले फिरभी तुम्हे तसल्ली नहीं मिलती है
हम तुम्हारा नाम लेकर निकले थे तुम्हारा दिदार करने
तुम्हें पाया रकीब की बाँहों में मायूस हो हम निकले
हर इंसान में सैतान और भगवान छुपा होता है
तुमने जो देखा वोह सही होगा उसकी कुदरत में उसका जलवा होता है
आशिक माशूक को बेटा बाप को, चेला उस्ताद को भगवान का दर्जा देता है
हवानियत साथ चले पर नाम अल्लाह, खुदा भगवान का ही लेता है
फितरत इन्सान की होती है रंग पलटने की, नहीं पलटने वाला तो भगवान होता है
तुम्हारे कर्म में शर्म क्यों है जब की कसूर पैदा करने वाले का होता है
तुमने अगर कुछ करामात करी हो तो वाकई में इल्जाम ए शर्म आता है
शुक्र कर उस उपर वाले का जिसने हमें इंसान बनाया
दीन इमान जज्बात रहम और महोब्बत का सबक पढाया
सोच, कहीं कुत्ता बनाया होता तो क्या होता?
भोंकता दूसरो पर, काटता अपनों को, और झुटन चाट रहा होता
नसीब हमारा की हम तुम्हारी आंखों में बसते है
मुकद्दर के सिकंदर हो जो तुम में अक्श ए इलाही नज़र आते है
Saturday, May 31, 2008
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