Saturday, May 10, 2008

भीगी पलकें टपकते आंसू

यह भीगी भीगी पलके , यह टप टप करते आंसू
खोल रहे हैं बीती रात का फसाना


मैं तो बैठी थी सज के संवर के रिझाने उसको, बीत गई जैसे सदियाँ हज़ार
शाम बीती, रात बीती, आया नहीं जालिम नहीं हुई पूरी इंतज़ार

मुझे मालूम था जादू डालेगी सौतन और तू होगा मुझसे बेजार
रोते रोते बीतेंगी रतियाँ मेरा मुक़द्दर तोडेगा मेरा दिल मेरा यार


कीतना छूपाऊं राज छुपता नहीं दिल का
भीगी पलके - टपकते आंसू बता रहे हैं मेरे
प्यार का अफसाना

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