Saturday, September 13, 2008

आज फ़िर चला पटाका

आज हिमाले की चोटी से 
फिर किसी ने पुकारा है ।
आतंकवाद के साये में धूर्त जलते 
पडोसी ने ललकारा है ॥

पूरा भारत घूम, सिमी मुजाहिद्दीन, 
हिन्दोस्तान  में फिर धमका गया ।
भारत के सपूतों ने आईएसआई की 
इस चुनौती को स्वीकारा किया ॥

आतंक के सौदागरों को 
चेतावनी का संदेश भिजवाया है ।
बम फोड ले सडक खोल ले
 हिंद-कश्मीर हमारा है ॥

कितने ही सालों से जालिम तुने 
मासूमों पर कहर बरपाया है ।
हम ने मुहतोड़ जवाब दिया 
और हर जगह तुझे हराया है ॥

खेमकरण और कारगिल के संग्राम 
की पिटाई तू क्या भूल गया ।
जम्मू हो या सूरत, हैदराबाद हो या
 बनारस चाहे संसद तेरी मौत भूल गया ॥

शायद खावायिश लालकिले पे चाय पीने की
 अभी भुला नहीं तू ।
शास्त्री के जय जवान की मार 
को आज भी याद कर तू ॥

राम कृष्ण गौतम गाँधी तिलक जवाहर
 के हम वंशज हैं जान ले ।
सर पे कफ़न माथे पे तिलक, 
कमर कसे है मोदी की सेना मानले ॥

हमने विश्व को मानवता का सन्देश दिया ।
पंचशील और सद्भावना को माना और जिया ॥

मजहबों से परे जा हर कौम को आदर दिया ।
इस देश में हर मजहब ने प्यार अमन को जिया ॥

हमने विश्व से आतंक 
ख़त्म करने का अहद लिया ।
बंगबंधुओं से, अफगानों से, 
पूछ हमने क्या क्या नहीं किया ॥

हमें लाहौर शांती की रेल भेजना आता है ।
तू छुरा घोंपे तो कारगिल 
भी करना आता है ॥

मुल्क में जमुरियत फिर से दस्तक दे रही है ।
बेनजीर को लुटा के इंसानियत भी रो रही है ॥

सात समुन्द्र दूर बैठा 
तेरा आका आज तुझे जान गया ।
हम कुछ भी ना करें 
दुनिया का थानेदार 
तो डंडा तान चुका ॥

कुरान-हदीस के पाक फतवों को भुला तू
 कुफ्र की वकालत कर रहा है ।
अपनों को भड़का के तू उन्हें क्यों 
नापाक नाकाम बदनाम कर रहा है ॥

दुनिया कहाँ से कहाँ तरक्की 
कर गयी तू भी इसे जान ले ।
झूट बोलना आतंक बोना- 
लाशे काटना गलत है मान ले ॥

2025  के पाक महिने में सिजदा कर
 कुफ्र  से तौबा मांग ले ।
छोड़ दे यह ओछी हरकते विनाश की,
तरक्की की डगर थाम ले ॥

मत ले इम्तहान नहीं तो तू पछतायेगा ।
कसम से हम उठ गए तो कौन बचायेगा ॥

भारत वासियों मत घबराना 
सब तुम्हारे साथ है ।
हम एकता, सावधानी, कठोरता, 
निरभ्यता, सद्भाव है ॥

हिम्मत रखना मत घबराना 
 आतंकियों को सबक सिखाना है ।
बाबा बर्फानी के दर्शनों को जाना है 
आशीर्वाद पाना है 

जनगनमन, सत्यमेव जयते और 
वन्देमातरम गाना है ॥

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