Monday, September 8, 2008

इंतज़ार.................

शायद आज कल आपके आँगन में धुप आने लगी है
बंधन टूटे युग बीता पर आँखे अब तक संबोधित है '


इस दुनिया में इंसान दूर भागता है किस से
मौत और मौत सबसे बड़ा सच्च है फिर भी इस से


उनके नाम को देख कर कंपकपी सी चढ़ जाती है
खबर की कोन कहे यहाँ तो माँ याद आ जाती है

उन्हें तलाश है मौत के जल्दी आने की
हमे तो करने हैं अभी बहुत काम देर है अभी जाने की

जब मौत आये तो घबरा मत जाना
गले मिलना, कंधे पर चढ़ना और रुखसत हो जाना

हमारे जैसे शायद वहां भी बहुत मिलेंगे
अगर नही तो हम भी अपना सफ़र चालू ही करेंगे

फिर मिलेंगे उपर खुब बातें होंगी
सर्द गर्म खट्टी मिट्ठी मुलाकाते होंगी

अगर खुदा को रास नहीं आई तो फिर वापसी होगी
फिर से संदेश भेजेंगे और मौत की इंतज़ार होगी

अगर ईस जमी पर बाकी हो तो जवाब खरियत का देना नही
तो हम चले आयेंगे उनके कुचे में मुश्किल होगा हमे झेलना

मुरीद तो उनके हो गये
सौदागर ए मौत के प्यारे हो गये

चाहते लकीरें बनके उभर आती हैं हाथो में
पूछ लेना यह बात किसी नजूमी से मुलाकातों में

ऊपर वाला बडा हिसाब किताब रखता है
एक पल ज्यादा ना कम खर्च करने देता है

चाहने से मजनू को लैला नहीं मिली सब जानते
एक भीष्म को इच्छाम्रत्यु वरदान था सब मानते

उसने भी कौरवों पांडवों की दुश्मनी देख मौत चाही थी
लेकिन वोह तो सब खत्म होने के बाद ही मिल पाई थी

आ हम तुम मिल नई दुनिया बनाने का आगाज करें
जिसमें मौत की कोईजगह नाहो ना जुर्म या आतंक वास करे

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