Wednesday, September 3, 2008

कसम बेवफ़ा

लम्हा लम्हा वक़्त गुज़र जायेगा ,
चंद लम्हों में दामन छोड़ जायेगा।

अभी वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,
पता नही कल कौन तेरी ज़िंदगी में आ जायेगा।।

तुम भूलकर तो देखो हमे
हर ख़ुशी तुमसे रूठ जायेगी।
जब भी सोचोगे अपने बारे में
खुद-बा- खुद याद हमारी आएगी ॥

जीनकी याद में हम दीवाने हो गए,
वो हम ही से बेगाने हो गए।।

शायद उन्हें तलाश है अब नए दोस्त की,
क्युंकी उनकी नज़र में अब हम पुराने हो गए ॥

ख्वाब देखा भी नहीं और टूट गए
वोह हमसे मीले भी नहीं और रूठ गए ॥

हम जागते रहे दुनिया सोती रही
एक बारीष ही थी जो साथ रोती रही।।

सुना है जब कोई याद करता है तो हीच्की आती है
अगर इस बात मैं थोडी सी भी हकीकत है ॥

नामुमकिन है की तुम्हारी हिचकी एक पल भी रुक जाय
हम सामने ना होंगे फ़िर भी हमारी याद आए और आँख ना भर आए ॥

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया रचना है।

शायद उन्हें तलाश है अब नए दोस्त की,
क्युंकी उनकी नज़र में अब हम पुराने हो गए ॥