ऐसी आफतें तो के हरमोड़ पर मीलेंगी
जीन्हें बचाने का नहीं मारने का शौक होता है
पर जान लो तुम मेरी बात दीलो जान से
मारने वाला नहीं मरने वाला ही शहीद होता है
बहुत से पल ऐसे आयेंगेजब लोग तुम्हे सतायेंगे
पर ध्यान रखना तुम प्रतीशोध लेने वाला नहीं
सह कर माफ करने वाला ही संत होता है
* * * *
आफत तो ऊपर वाले की रहनुमाई है
जीस में उसका प्यार झलकता है
मुझे परवाह नहीं तूफानों की
नहीं भूचालों से ड़र लगता है
कुछ लोगों की फीत्रत ही उलटी होती है
जीन्हे लोगों के तड़पने में शबाब मीलता है
जब बीडा उठा ही लीया, जीए या मरें, कया फरक पड़ता है
शहादत तो रंग लाती है मारने वाले से बचने वाला बड़ा होता है
दील का क्या समझाना हुजूर ........
बदला लेने वाले से माफ़ करने वाला संत ही नहीं भगवान होता है
Monday, April 7, 2008
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2 comments:
बहुत सुंदर बधाई लिखते रहिये
डॉ साहब आपने तो कमाल कि प्रतिक्रिया दी है मजा आ गया....... शुभकामनाएं.......
aapne jo rachana likhi hai vah bahut prabhavshali hai ....great ....
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