जुल्म सह कर जब जना सीतम्गर बनता है
तुब दो बाते होती है.
या तो वो महात्मा गाँधी बनता है
या जवाहर लाल बनता है ।
महात्मा मार दीया जाता है
यानी जुल्म का शीकार हो जाता है
जवाहर देश का बटवारा कर,
सत्ता का सुख भोगते हुए
१७ साल में गरीबों का नीवाला छीनते हुए
एक सीतम्गर की जमात खडी कर जाता है।
उपर खादी ,
अंदर रेशम वोह भी पेरीस का धुला ,
हुआ पहीर कर,
सुबह महात्मा की समाधी पर फूल चढाता है,
भाखडा को देश का मंदीर बताते हुए,
गरीब का नीवाला छीनने को बेकरार,...........
उद्योगपतियों के साथ फोटो खीचवाता है
देश के गरीबों का यही नसीब है.....................
लज्जा आती है उन्हे देखकर,
जो थे स्वयं मोहताज
आज वही हैं गरीब का,
नीवाला छीनने को बेकरार
Monday, April 7, 2008
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