वोह पीला फूल गुलाब का ,
दीया था जो तुने कॉलेज के उस कोने में
पर,वोह मुरझा गया है तेरे प्यार की तरह
जो पीला फूल मैं ने दीया था तुझे तोफे में प्यार के
तुझे माना था मैंने की तू उसे रखेगा दील के कोने में संभाल के,
उसे तुने ज़माने की गर्मी, तूफानों के झोके में झुलसा दीया
अरे जालीम कद्र नहीं की मेर तोहफे की
मुरझा गया वोह तेरे दील तोड़ वयवहार से
पूछ अपने दील में, झांक अपने मन में
फीर सोच कौन गुनाहगार है
तू है सीतमगर...............
या मेरा प्यार गुनाहगार है
Monday, April 7, 2008
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