Monday, April 7, 2008
हार कीसी की जीत कीसी की
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशीश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फीसलती है.
मन का वीश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गीरना, गीरकर चढ़ना न अखरता है.
अखीर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशीष करने वालों की कभी हार नहीं होती.
डुबकियां सींधू में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
मीलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशीष करने वालों की कभी हार नहीं होती.
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
कुछ कीये बीना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशीष करने वालों की कभी हार नहीं होती
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