उस हसीं दोस्त का कोई पैगाम नही आया,सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,
उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,
ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,
आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,
आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,
अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लूं
शुक्रिया आपका जो हमारी याद तो आई
हमारे घसीटे हुए कलामों ने आपकी नज़र ए इंनायत तो पाई
बहुत जल्दी आपने कुछ नए दोस्त बना लीये
हम भी राहों में खडे थे दील ए जज्बात लीये
सोचते थे आज भी रहमो करम होगा
दोस्त को आपने वादे का इल्म तो होगा
आज उनका उल्हाना आया, उल्हाना ही सही पैगाम तो आया
उन्होंने आवाज दी उनको हमारी सलामती का ख्याल आया
खबर उन्होने पुंछी हमें दील ए करार आया
Thursday, April 10, 2008
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