Monday, April 7, 2008

ख़वाब

दोस्ती शायद जीन्दगी होती है
जो हर दील में बसी होती है
वैसे तो जी लेते है सभी अकेले मगर,
फीर भी ज़रूरत इनकी हैर कीसी को होती है

तन्हा हो कभी तो मुझको ढुढना
दुनीया से नही अपने दील से पूछना,
आस पास ही कही बसे रहते है
यादों से नही साथ गुज़रे लम्हो से पूछना..!!

ख़वाईश ही नही अल्फ़ाज़ की,
चाहत को तो ज़रूरत है बस एहसास की,
पास होते तो मंज़र ही क्या होता,
दूर से ख़बर है हमे आपकी हर साँस की..!!

दील जीत ले वो जीगर हम भी रखते है
कतल कर दे वो खंजर हम भी रखते है
आपसे वादा है हुमारा हमेशा मुस्कराने का,
वरना आँखो में समुंदर हम भी रखते है

प्यार आ जाता है आँखों में रोने से पहले,
हर ख़वाब टूट जाता है सोने से पहले,
इश्क़ है गुनाह येह तो समझ गए
काश कोई रोक लेता यह गुनाह होने से पहले..!!

पलकों से उठा के ये ख़वाब,
सजाए है क़दमों में तेरे,
संभाल के रखना क़दम,
कही कुचल ना जाए ख़वाब ये मेरे

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