गुरु जी विनोद जी बिस्सा की कलम से .......
नाम हो या बदनाम तूफां तू अपना काम कर वर्ना पूछा ना जायेगा
तू हो गया शांत तो जो लडते हैं तुझसे उनका नाम कैसे हो हो पायेगा
धर्म की आग ने जलाया था देश जातिवाद की आग ने पैदा कर दिया विद्वेष
अब क्षेत्रवाद की बातें कर फैला कर बांटने जा रहें हैं देश
पर तुझे क्या तूफां तु तो अपना काम कर
तू सफल हो या हो असफल दोनो ही स्तिथियों में याद किया जायेगा
नाम हो या बदनाम इतिहास का पन्ना तो हो ही जाएगा
गुरु जी विनोद जी बिस्सा की कलम से ......................
गुरु जी के आशीर्वाद से....................
तूफान हूँ मैं शांत कैसे हो सकता हूँ
मेरे तो जो भी सामने आये उसे फोड़ सकता हूँ
सफलता की क्या निसानी है?
इतहास के पन्नों में ही क्या जगह पानी है?
मन मेरा गवाही दे उसी रास्ते मैं जाता हूँ
परवाह नहीं नाम की मैं तो काम करता जाता हूँ
काम मेरा शांती, सद्भावना का बवंडर उठाना है
साथ में लहर भाईचारे की, देशप्रेम की फैलाना है
प्रानीदाया, जीव रक्षा मेरे साथ चलते है
मानव सेवा, प्रकृति रक्षा मेरे कारन फलते है
जीस प्रभु ने रचना की उसका गुणगान करता हूँ
मुझे परवाह नहीं सफलता की..........
इतहास में पन्ने की............
मैं तो इंसान और इंसानियत से प्यार करता हूँ
Sunday, April 20, 2008
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