Wednesday, April 9, 2008

महेंदर जी के सम्मान में


आप को देश की साहीत्य रचना का छुपा रुस्तम, यों ही नहीं कहा जाता हँ
गुरु को गुरु कोई बनाता नहीं, पक्का इरादा , दूरदृष्टी, अनवरत प्रयास ही सफलता के नीकट ले जाता है

आपके साथ तो आपके पीताश्री की प्रेरणा और आशीर्वाद है।
इस जगत में कौन रौके आपको, इस जुर्रत का हो सकता, कीसी को भी नहीं, दुशहास है।

जीयो और जीने दो एक नारा नहीं मनुष्य जीवन की धारा है।
मूक प्राणी को नीर्मम हत्या से बचाएँ
नव पीढ़ी को सुध शाकाहारी, नीरोगी, भोजन
उपलब्ध कराएं यही आज का नारा है

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