रोटरी में हम एक कहानी सुनाते है
एक बड़ा उद्योगपत्ती रोटरी सदस्य बना. समयाभाव के नाम पर वोह कीसी भी समाज सेवा कार्य में आता नहीं था. उसके एक मीत्र रोटरी अध्यक्ष ने उसे जब ज्यादा पीछा कीया तो उसने पूर्ण वर्ष में कीसी भी एक सेवा में सहयोग देने का वायदा कीया.
एक दीन रोटरी अध्यक्छ के पास कीसी औरत का फ़ोन आया की वह गर्भवती है और उसे दर्द उठ रहे हैं. घर पर कोई नहीं है. कया वह कोई व्यवस्था कर सकते हैं.
रवीवार का दीन, शाम का समय, कैसे व्यवस्था की जाये यह सोचते हुए अध्यक्ष को अपने उद्योगपती दोस्त का ध्यान आया.
दोस्त को फोन पर प्रार्थना करते हुए उस ने म्हिला को कीसी प्रसूती केंद्र में ले जाने को कहा.
दोस्त रोटारियाँ को यह बड़ा सरल काम लगा. उस ने कहा की हस्पताल ही उस के दान से बना है और वह कार लेकर महीला के घर गया.
महीला और उसकी ३-४ साल की बच्ची को लेकर वह हस्पताल गया. महीला को चीकित्सक लेबोर रुम में ले गयी. बाहर बह बच्ची उस उद्योगपती के साथ खेल रही थी. कुछ तंग हो कर उस ने बच्ची से पूछा तो जानती है कौन हूँ मैं ?
लड़की ने कहा हाँ मैं जानती हूँ? बड़ा चाकीत हो कर उस ने पूछा कौन हूँ मैं ?
लड़की ने जवाब दीया तुम भगवान हो?
अरे.......... कैसे...................
क्योंकी मेरी माँ रोज प्रार्थना करते हुए कहती थी की मुश्कील समय में भगवान आते हैं.
आज जब मेरी माँ मुश्कील में थी तो तुम आये इस लीये तुम भगवान ही हो सकते हो
और उस दीन से वह उद्योगपती पक्का समाज सेवी बन गया क्योंकी उसे लगा की अगर उसका एक छोटा सा कार्य अगर नादाँ बच्चे से भी उसको भगवान का स्थान दीलावा सकता है तो मानव सेवा तो शायद उसे ज़रूर भगवान के करीब ले जायेगी
1 comment:
very nice collection sir
Pl. Keep Writing
With regards
Dr. Ravindra Kumar Lavania
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