Sunday, April 11, 2010

यादे

दर्द ए दिल इसका क्या कहना
कितने जख्म यारों ने दिए क्या गिनना
सिर्फ पुराने तजुर्बे देते हैं नसीहत
इस लिए पड़ती हैं यादे संजोना

हर वक्त नही मिलते तुमसे वफादार
यह यादें करती हैं वफा,जब जख्मी हो सीना
जख्म भी धरोहर हैं उन जालिम की
जब मिलें तो सुनादेंगे उन्हें दास्ताँ ए हसीना

1 comment:

सु-मन (Suman Kapoor) said...

यादें तो धरोहर होती हैं जो वर्तमान को जोड़े रखती हैं अतीत से