Wednesday, April 7, 2010

लाल झंडा लाल निसान

लाल हाथ लाल खून से रंगे
पुलिस का हो चाहे जनता हत्थे चढ़े

आज ७६ वर्ष में सेकड़ों मरे
देश के कोने कोने में कितने इनके हत्थे चढ़े ?

हिटलर भी उनके हाथ चढ़ गया`
१९६२ में चाचा नेहरु को डस गया

बंगाल की तरक्की वोह खा गया
देखो कितनी तेजी से आसमा पर छा गया

कभी इंदिरा कभी अटल कभी प्रचंड दहल
बंगाल से शुरू केरल पर रहा टहल

देश की आज़ादी में देशद्रोह की मीसाल
देश की तरक्की का विनाश और काल

नक्सल,फारवर्ड, वाम, माओवादी मार्किस्ट आदि
सभी अंदर से एक,दिखते अलग जैसे खांसी बुखार मियादी

प्रेम की भाषा दलाई पुकारते रह गये
हिंदी चीनी भाई भाई सुनाते नेहरु चले गये

इनका तो बस एक ही इलाज़ है
फौज की तैनाती और इनका पूर्ण विनाश है

सरकार में इच्छाशक्ति नही जनता में एका नही
वोटों की राजनीती इनको मरने देती नही

आज हमे ही आगे आना होगा
दे हथियार आदिवासी को इनसे टकराना होगा

जिनकी पैरवी का दावा यह करते है उन्हें इनसे बचाना होगा
वोह जग गये तो यह भाग गए इनको बतलाना होगा


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