Saturday, July 19, 2008

चुनाव का बकरा...............

देखो फिर ईद गयी
बकरे की मुसीबत गयी
अरे नहीं बकरे की तो किस्मत संवर गयी

सौदागर ने फरमान किया
ईद मनाने का ऐलान किया
खरीदी का दाम दिया

कल तक जो बकरा मण्डी के ख्वाब थे देखते
आज हम उन्हें मण्डी के तिजारती देखते

काश्मीर से कन्याकुमारी
मुंबई से बंगाल की खाडी

हर बकरे का अलग निसान है
उसके मालिक की अलग दुकान है

कुछ बकरे खुले घूम रहे है
चुंगी वाले जाल डाल उन्हें ताक रहे हैं

कुछ बकरे मिमिया रहे हैं
मंत्री बनाओ चिल्ला रहे हैं

कुछ लाल कुछ हरे नीले, कुछ केसरिया बाड़े में घुस चुके है
कुछ हाथ के इशारे पे, सजे संवरे खड़े हैं

तीन दिन है बाकी सौदागर को ईद मनाने को
बकरों की तो मौज होगई, ईद को चला जाने दो

यारों ईद के बाद क्याहोगा ?
सौदागर तो खुश, देश का सत्यानास होगा

हाथ जीत गया तो भी हारेगा
लाल का कया बिगडेगा वोह तो चीन पधारेगा

हाँ- कुछ बकरे मोटे हो जायेंगे
कुछ मंत्री कुछ संत्री बन जायेंगे

इसी लिए कहता हूँ ईद गयी .........
बकरों की तो मौज आगयी

1 comment:

Anonymous said...

bahut achcha likha hai, saara desh dekh raha hai