Sunday, July 13, 2008

देश का हाल

पंच बुला कर करो फ़ैसला
भाई और साले में

दांये बाएं में हो गयी जंग
बीती रात शिवाले में

प्यास लगी नींद भगी
कमल घूम रहा ख्यालों में

भोले बोले पंच बुलाओ
जनता तो गयी हिमाले पे

गलती किसकी इच्छा उसकी
भंग चढ़ गयी माथे पे

हर घर का हाल यही है
पंच गये दिवाले में

बुश को मानने सरकार हिली
वाम रूठा खडा विराने में

टुकुर टुकुर देख रहे घरवाले
आज इस ज़माने में

घर की आग में हाथ सेक रहे
ऐरे गेरे नथू खेरे बैठे मैखाने में

बेडा गर्क हो रहा देश का
फ़िक्र किसे करो फैसला चो्डे चोक उजाले में