दिल तुम्हारा रहे जवान
और खेलो होली राधाओं से
चले शेर और मीठी जुबान
हम तुम्हारे आशिक
होली पर करते तुम्हे प्रणाम
आया जाओ मैसूर खेलेगे होली
भर के बाल्टी और पिचकारी बेजुबान
लाना भर के झोला रंग गुलाल मिठाई
मिलेगी भोजाई हमारे से .
भांग के नशे में, रंगों के अँधेरे में
कोन किसे पहिचानेगा
कोन किसे पुकारे गा
जो सामने आगयी उसे ही रंग डालेगा
भौजी किसे बीबी किसे,
आज तो हर गोपी भोजाई नज़र आती है
गली में निकलो तो सही
रंग की दुकान पर
हुल्लाडों की भीड़ नज़र आती है
चला रहे नैनों के बाण -
हाथ में पिचकारी तान
पुरे साल की जवानी आज ही तो रंग लाती है
छुपे के तान फिर देख कैसे गोपी बिना रंगे निकल जाती है
Thursday, March 4, 2010
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2 comments:
bahut koob sir ji
govans bachane ke nek kary k liye bhi
bahut koob sir ji
govans bachane ke nek kary k liye bhi
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