Thursday, March 4, 2010

होली के हुल्लड

दिल तुम्हारा रहे जवान
और खेलो होली राधाओं से
चले शेर और मीठी जुबान
हम तुम्हारे आशिक
होली पर करते तुम्हे प्रणाम
आया जाओ मैसूर खेलेगे होली
भर के बाल्टी और पिचकारी बेजुबान
लाना भर के झोला रंग गुलाल मिठाई
मिलेगी भोजाई हमारे से .
भांग के नशे में, रंगों के अँधेरे में
कोन किसे पहिचानेगा
कोन किसे पुकारे गा
जो सामने आगयी उसे ही रंग डालेगा
भौजी किसे बीबी किसे,
आज तो हर गोपी भोजाई नज़र आती है
गली में निकलो तो सही
रंग की दुकान पर
हुल्लाडों की भीड़ नज़र आती है
चला रहे नैनों के बाण -
हाथ में पिचकारी तान
पुरे साल की जवानी आज ही तो रंग लाती है
छुपे के तान फिर देख कैसे गोपी बिना रंगे निकल जाती है


2 comments:

MEDIA GURU said...

bahut koob sir ji
govans bachane ke nek kary k liye bhi

MEDIA GURU said...

bahut koob sir ji
govans bachane ke nek kary k liye bhi