Wednesday, June 4, 2008

राधे राधे



गौर श्याम की मंद हँसन लखि,
ऐसो कौन जो धीर ना धरैगो

मौर मुकट कटी काछनी तिरछी चितवन द्रग,
दौड़ आरती कुञ्जबिहारी की लैवेगो

मीरा सूर खान रस में रस,
सखियन संग ब्रिन्दावन में जाये बसेगो

जय बिहारी जय कान्हा जय गिरिधारी की
तान लगा द्रग नीर भरैगो

मंगल में जाईके, राधा वल्लभ दर्शन पाइके
ब्रिन्दावनवास सफल करैगो

बोली बिशाखा गोपियन के संग, राधाप्यारी के वचन,
ये प्रेमी भवसागर पार लगैगो

'सुन री सखी' तू कर पार ताल तल्लिया,
मेरो तो जीयो श्याम चरणों में ही बसैगो


राधे राधे

1 comment:

seema gupta said...

मौर मुकट कटी काछनी तिरछी चितवन द्रग,
दौड़ आरती कुञ्जबिहारी की लैवेगो
" bhut hee mnbhavan rachna"

Regards