Monday, June 23, 2008

राधा श्याम

कान्हा तेरे रंग भरे नैन रसीले
पिताम्बर छटा शोभित कजरारे नयन कटीले॥
मैं बावरी डोर फिरत इत् उत ज्यों विरहिन चोट चुटीले
ब्रज में मच गयी धूम तेरे सैनं बाण नुकीले
भौहं कमान तान कस राधाज्यु के मारी ।
घायल कर डारी ब्रिजनारी नयन चले तेरे छैल छबीले
"सखी" फँसी लख राधावल्लभ बाँकी चितवन
करो रास कुञ्ज वनन में धर ललित रूप गरबीले
श्याम पत राखो "सखी" की ।
द्रोपदी की राखी जैसे मद्ध कौरवं हटीले ॥

॥ राधे राधे ॥