तुने जन्म दिया नहीं मुझको ।
पर मानू तुझे मैं मा ॥
तेरा दूध रगों में दोडे ।
मैं जानू ये भी मा ॥
भारत के तू हर कण में ।
भारत के तू हर जन में ।
तू बसती है मेरी मा ॥
सुख सारे तुससे पाए ।
तू दुःख में भी सुखालाये ।
मैं हर्षित हूँ मेरी मा ॥
जीवन से और मरण तक ।
शिख से और चरण तक ।
तू सबके काम आये ॥
बैल शक्ति गोबर गोमूत्र से ।
दूध दही घी उपयोग से ।
नई उद्योग क्रांति आये ॥
हर गाँव हर कोने में ।
देश का दुर्भाग्य ।
जो तुझे काट और खाए ॥
हर गाँव में हो तेरा बसेरा ।
फैलाए जो सवेरा ।
अंधियारा भाग जाए ॥
अब हमने भी ठानी ।
गोमाता है बचानी ।
जो मरने पर तारे ।
जन्नत धरा पे लाये ॥
Friday, August 29, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
bahut sundar rachna. badhai.
Post a Comment